सधर्मी का अर्थ
[ sedhermi ]
सधर्मी उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- तपश्चत सधर्मी वात्सल्य का आयोजन किया गया .
- पूजन पश्चात सधर्मी वात्सल्य का आयोजन रहेगा।
- समधर्मी का तात्पर्य है न सधर्मी हो , न विरोधी हो।
- इन्हें पुन : तीन वर्गो में बांटा गया है- सधर्मी, विरूद्धधर्मी, समधर्मी।
- दशानाथ की महादशा में सधर्मी ग्रह अच्छा फल देंगे , बाकी की अंतर्दशा विपरीत फलदायक ही रहेगी।
- केन्द्रेश व त्रिकोण : केन्द्रेश व त्रिकोेणेश सधर्मी ग्रह हैं क्योंकि दोनों शुभ भावो के स्वामी हैं अत:
- क्या धर्म के नाम पर आपके सधर्मी भी वही नहीं कर रहे किसकी आप आलोचना कर रहे हो .
- क्या धर्म के नाम पर आपके सधर्मी भी वही नहीं कर रहे किसकी आप आलोचना कर रहे हो .
- जिनके प्रति हमारे मन मैं कलुषता है उससे हटाकर के अपने उस सधर्मी के वात्सल्य भाव को अपने जीवन मैं व्यक्त कर सकते है .
- यदि महादशा नाथ और अन्तर्दशा नाथ दोनों शुभ भावों के स्वामी हो अथवा अशुभ भावों के स्वामी हों जैसे त्रिषड्ाय तो इन्हें सधर्मी कहा जाएगा।