सावज का अर्थ
[ saavej ]
सावज उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणसंज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- नाहिं मरलीं जल की मछरिया , नाहीं बनवाँ सावज हो
- का मरलीं जल की मछरिया कि नाहीं बनवा सावज हो
- दौड़ा , भागा , चीरता धना अँधेरा , न देंखी विपदा को लालधूम आँख किये गीधद , शियार , सावज , झरख।
- दौड़ा , भागा , चीरता धना अँधेरा , न देंखी विपदा को लालधूम आँख किये गीधद , शियार , सावज , झरख।
- नाहिं मरलीं जल की मछरिया , नाहीं बनवाँ सावज हो कौशिला रानी बाड़ीं गरभ से हरिना-हरिना करैं हो ॥ ३ ॥ [ हिरणी कहती है - ” न तो तालाब सूख गये हैं , और न ही वन-प्रांतर तृण-रहित हुआ है ।
- का मरलीं जल की मछरिया कि नाहीं बनवा सावज हो काहें तूँ ठाढ़ि हिरनिया मनइ मन अनमन हो ॥ २ ॥ [ हिरण उसे यूँ अनमना देखकर पूछता है - ” क्या सभी तालाब सूख गये जिससे सारी मछलियाँ मर गयीं ( जल कहाँ मिलेगा अब ? ) या सभी वन के तृण-पात सूख गये ( चरने को क्या मिलेगा ? ) कि तुम इस तरह अनमनी होकर खड़ी हो ।