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सुखदानी का अर्थ

[ sukhedaani ]
सुखदानी उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. एक वर्णवृत्त:"सुखदानी के प्रत्येक चरण में आठ सगण और एक गुरु होता है"

उदाहरण वाक्य

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  1. तो इस विजन-विपिन पर वारूँ , मिले स्वर्ग सुखदानी जो
  2. भागन सों पति ऐसो मिलै सबहीन को दच्छिन जो सुखदानी
  3. कुम्भनदास प्रभु गोवर्धनधर , लाल भये सुखदानी ॥२॥ १) पिय संग रंग भरि करि किलोलें....
  4. भागन सों पति ऐसो मिलै सबहीन को दच्छिन जो सुखदानी ( ग्रीष्मवर्णन से) जगह जड़ाऊ जामे जड़े हैं जवाहिरात, जगमग जोति जाकी जग में जमति है।
  5. भागन सों पति ऐसो मिलै सबहीन को दच्छिन जो सुखदानी ( ग्रीष्मवर्णन से ) जगह जड़ाऊ जामे जड़े हैं जवाहिरात , जगमग जोति जाकी जग में जमति है।
  6. दो मधूकरी हों खाने को , मदिरा हो मनमानी जो, पास धरी हो मर्म-काव्य की पुस्तक फटी पुरानी जो, बैठ समीप तान छेड़े, प्रिय, तेरी वीणा-वाणी जो, तो इस विजन-विपिन पर वारूँ,मिले स्वर्ग सुखदानी जो.[14]
  7. दो मधूकरी हों खाने को , मदिरा हो मनमानी जो, पास धरी हो मर्म-काव्य की पुस्तक फटी पुरानी जो, बैठ समीप तान छेड़े, प्रिय, तेरी वीणा-वाणी जो, तो इस विजन-विपिन पर वारूँ,मिले स्वर्ग सुखदानी जो.
  8. दो मधूकरी हों खाने को , मदिरा हो मनमानी जो , पास धरी हो मर्म-काव्य की पुस्तक फटी पुरानी जो , बैठ समीप तान छेड़े , प्रिय , तेरी वीणा-वाणी जो , तो इस विजन-विपिन पर वारूँ , मिले स्वर्ग सुखदानी जो सचमुच ऐसा हो तो जीवन का आनंद आ जाए।
  9. दो मधूकरी हों खाने को , मदिरा हो मनमानी जो,पास धरी हो मर्म-काव्य की पुस्तक फटी पुरानी जो,बैठ समीप तान छेड़े, प्रिय, तेरी वीणा-वाणी जो, तो इस विजन-विपिन पर वारूँ,मिले स्वर्ग सुखदानी जो.[14] कोई स्वर्ग-लोक के सुख को कहता है अतोल, अनमोल;कोई राजपाट के ऊपर करता है मन डाँवाडोल ;गाँठ बाद ले मूर्ख नक़द के नौ, तेरह उधार के छोड़-यों तो लगते हैं सुहावने सबको सदा दूर के ढोल.


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