स्थित-प्रज्ञ का अर्थ
[ sethit-perjeny ]
स्थित-प्रज्ञ उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषण- जिसकी विवेक-बुद्धि स्थिर हो या जो सुख-दुख आदि मनोविकारों से विचलित न होता हो:"स्थितप्रज्ञ व्यक्ति कभी दुखी नहीं होता"
पर्याय: स्थितप्रज्ञ
- वह व्यक्ति जिसकी विवेक-बुद्धि स्थिर हो या जो सुख-दुख आदि मनोविकारों से विचलित न होता हो:"गीता में स्थितप्रज्ञ के लक्षण बताए गए हैं"
पर्याय: स्थितप्रज्ञ
उदाहरण वाक्य
- उन्होंने स्थित-प्रज्ञ भाव से उनका यथोचित सामना किया।
- स्थित-प्रज्ञ होने का उपाय कोई बताये
- राजनीति की रपटीली राहों में उतार-चढ़ाव के मध्य स्थित-प्रज्ञ भाव से अटल रहना , निश्चित रूप से प्रेरणास्पद है।
- म८ो की बात यह है कि देखने में ये कविताएँ लापरवाह , बल्कि स्थित-प्रज्ञ सी लगती हैं, जैसे कह रही हों-दुनिया तो भांड़ में जा ही चुकी है, अब मुझे इससे बहुत लेना-देना नहीं है, बात निकली है तो कहे दे रही हूँ।
- भावार्थ : जिस प्रकार अनेकों नदियाँ सभी ओर से परिपूर्ण , दृड़-प्रतिष्ठा वाले समुद्र में समुद्र को विचलित किए बिना ही समा जाती हैं , उसी प्रकार सभी इच्छायें स्थित-प्रज्ञ मनुष्य में बिना विकार उत्पन्न किए ही समा जाती हैं , वही मनुष्य परम-शान्ति को प्राप्त होता है , न कि इन्द्रिय सुख चाहने वाला।