अद्वय उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- वे कहते है, ब्रह्म अद्वय हे, नानडुअल है, दो नहीं है।
- परम तत्व हृ इस दर्शन की दृष्टि अद्वय या अद्वैत है।
- इसीलिए शंकर का शुद्ध अद्वय ब्रह्म इस मत में ग्राह्य नहीं है।
- परब्रह्म अद्वय है, अर्थात् स्वजातीय, विजातीय और स्वगत भेदरहित है।
- ॐकार की उपासना के द्वारा हीं साधक अद्वय स्थिति में पहुँच सकता है।
- ॐकार की उपासना के द्वारा हीं साधक अद्वय स्थिति में पहुँच सकता है।
- मन प्रपञ्चका स्तर है, जहां वैविध्य से बोझिल अद्वय सत्ता अपारदर्शी बनी रहती है।
- वे कहते है, ब्रह्म अद्वय हे, नानडुअल है, दो नहीं है।
- बहुत्व से विशिष्ट अद्वय ब्रह्म का प्रतिपादन करने के कारण इसे विशिष्टाद्वैत कहा जाता है।
- कृष्ण का रूप धारण कर अद्वय की दशा में अपने ढ़ंग से मिल जाते है।