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अनुकूलित प्रतिवर्त उदाहरण वाक्य

अनुकूलित प्रतिवर्त अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. वानर जो फल खाते हैं, उनके न केवल आकार और रंगों को वे पहचान जाते हैं, बल्कि स्वाद के मामले में भी उनके अनुकूलित प्रतिवर्त काफ़ी विकसित हैं।
  2. जीव-जंतुओं की आदतों के प्रेरक घटकों में जाति के अनुभव को पुनर्प्रस्तुत करने वाली सहज हरकतें और सांयोगिक हरकतों की पुनरावृत्ति के जरिए मजबूत बनें अनुकूलित प्रतिवर्त शामिल हो सकते हैं।
  3. आपके उत्तर के पहले और दूसरे अनुच्छेद के साथ तीसते अनुच्छेद के शुरू के दो वाक्य तक तो समझ आता रहा लेकिन उदाहरण आते ही फिर मुझे अनुकूलित प्रतिवर्त ने परेशान किया।
  4. वास्तव में अनुकूलित प्रतिवर्त (conditioned reflex), नयी तथा पहले से विद्यमान अंतर्वस्तु के बीच संबंध स्थापित करने की क्रिया होने के कारण, स्मरण की क्रिया के शरीरक्रियात्मक आधार का ही काम करता है।
  5. वस्तु का बिंब (दृश्य, श्रव्य, घ्राणजनित, इत्यादि) जीव के लिये किसी क्षोभक के संकेत का कार्य करता है, जिससे उसके व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है और यह अनुकूलित प्रतिवर्त कहलाता है।
  6. हालांकि बाद के अपने लेखन में उन्होंने रेमन वाई कैयाल के तंत्रिकाकोशिका सिद्धांत तथा इवान पावलोव के अनुकूलित प्रतिवर्त को भी संदर्भित किया, साररूप में उन्होंने इस नए तंत्रिकाविज्ञानी अनुसंधान की पुराने सहचर्य सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में व्याख्या की.
  7. हालांकि बाद के अपने लेखन में उन्होंने रेमन वाई कैयाल के तंत्रिकाकोशिका सिद्धांत तथा इवान पावलोव के अनुकूलित प्रतिवर्त को भी संदर्भित किया, साररूप में उन्होंने इस नए तंत्रिकाविज्ञानी अनुसंधान की पुराने सहचर्य सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में व्याख्या की.
  8. फिर भी कृमियों के अनुकूलित प्रतिवर्त स्पष्टतः उच्चतर श्रेणी के हैं, क्योंकि वे एक निश्चित सुनम्यता का प्रदर्शन करते हैं (इसके बावज़ूद कि उन्हें भी अपने पैदा होने के लिए बड़ी संख्या में तरह-तरह के क्षोभकों की जरूरत होती है) ।
  9. इसी से संबंधित करके कुछ पशुओं को ध्वनि-शब्दों के जरिए किसी विशेष व्यवहार को किये जाने के लिए दी जाने वाली प्रशिक्षण प्रक्रिया को समझा जा सकता है, पशुओं के लिए उच्चारित किये जाने वाले शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता, वे सिर्फ़ अनुकूलित प्रतिवर्त के लिए क्षोभकों का कार्य करते हैं।
  10. क्योंकि दिमाग और तंत्रिकातंत्र के अनुकूलित प्रतिवर्त जब प्रबलित हो जाते हैं, स्थिर से हो जाते हैं तो उनमें परिवर्तन करके नये तरह के प्रतिवर्त बनाना एक मुश्किल और तंत्रिकातंत्र की बनावट की सीमाओं के कारण मुश्किल तो होता ही है, और समय गुजरते जाने पर तो कई चीज़ें असंभव सी भी होती जाती हैं।
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