कगर उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- जीवन से ऊबकर व्यवस्था से निराश चट्टान के कगर पर खड़ा सामने वितत-विशाल-औंडा-ताल पूछा स्वयं से, ”सोच ले फिर से, क्या मरना ज़रूरी है?” ”हाँ,”-दू टूक-सा दिया मैंने उत्तर और कूद पड़ा झट से; तीखी थी छलाँग, ताल ने भी नहीं मचाया शोर ना ही कहीं उठी हिलोर व्यवस्था
- जीवन से ऊबकर व्यवस्था से निराश चट्टान के कगर पर खड़ा सामने वितत-विशाल-औंडा-ताल पूछा स्वयं से, ”सोच ले फिर से, क्या मरना ज़रूरी है?” ”हाँ,”-दू टूक-सा दिया मैंने उत्तर और कूद पड़ा झट से; तीखी थी छलाँग, ताल ने भी नहीं मचाया शोर ना ही कहीं उठी हिलोर व्यवस्था...
- क्या यह उस बात का असर है, या इसका कि जब आये दिन हम हिन्दी में बात करतें हैं, कुछ हद्द तक सोचते भी हैं, तो क्यों ना उसी भाशा में लिखा भी जाये? और इसका यह मतलब भी नही है कि हम अपने में ही इस कगर रम जायें कि दूसरों का खयाल ना आये।