गुँज उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- अंदर बाहर का वातावरण इन्कलाब जिंदाबाद के नारो से गुँज उठा था।
- धीरे करो-आह-उह पूनम की चीख पूरे कमरे मे गुँज रही थी.
- सारा मैदान फिर नारों से गुँज रहा है-स्वामी समीरानन्द जी की जय हो.
- गुलाम अली साहब की आवाज गुँज गई “ईतना टुटा हुँ की छूने से बिखर जाऊँगा” ।
- गुलाम अली साहब की आवाज गुँज गई “ईतना टुटा हुँ की छूने से बिखर जाऊँगा” ।
- इस बात पर मुझे इकबाल साहब की, अपने देश की ही अपनी रागिनी की गुँज आ रही है।
- कान में अब तक आवाज गुँज रही है-विरह रो रहा है, मिलन गा रहा है-किसे याद रखूँ, किसे भूल जाऊँ.
- गाँव के चौपालोँ से लेकर चौक-चौराहोँ और सड़कोँ से होते हुये संसद तक मेँ “ काली कमाई ” की ही गुँज है ।
- कोइ नाता हमारेँ बिच नही! चले जाओ और दुबारा मुडकर इधर ना देखना ” बस कानोँ मेँ वही शब्द गुँज रहे थे बार बार रिप्ले हो रहा था ।
- जो बात उस सभागार में उपस्थित युवाओं के मन में घुमड़ रही थी वही बात एक बूढ़े ने मंच पर जाकर कह दी तो पूरा सभागार उन युवाओं की तालियों रूपी प्रतिरोध से गुँज उठा।