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चमकरहित उदाहरण वाक्य

चमकरहित अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. ' ' (10.136.2) इसका अनुवाद प्रसिद्ध आचार्य वेंकट माधव ने इस तरह किया है: ‘‘ जहाँ सूर्य-चंद्रादि दिव्य पदार्थ प्रवेश पाए हुए हैं, जहाँ सूर्य रश्मियाँ प्रवेश करती हैं, ऐसे अंतरिक्ष में चमकरहित गेरुए वस्त्र धारण कर मुनि लोग वायु की रस्सी के द्वारा वायु की गति के अनुसार गमन करते हैं।
  2. उसका जो भाष्य मैंने किया है उसे मानक अर्थ के बाद दिया है: पहला मानक अर्थ-‘ जहाँ सूर्य चंद्रादि पिण्ड विद्यमान हैं, जहाँ सूर्य रश्मियो का क्षय नहीं होता, ऐसे अन्तरिक्ष में चमकरहित विशिष्ट गेरुए वस्त्र धारण कर, मुनि वायु की रस्सी द्वारा प्रदत्त संवेग के अनुसार गमन करते हैं ।
  3. मेरा भाष्य-जहाँ सूर्य चंद्रादि पिण्ड विद्यमान हैं, जहाँ वातावरण न होने के कारण सूर्य की रश्मियों का क्षय नहीं होता, ऐसे अन्तरिक्ष में सूर्य किरणो को सोखकर, उनसे सौर पटलो की तरह अधिकांश ऊर्जा सोखने वाले चमकरहित विशिष्ट गेरुए स्पेस धारण कर मुनि निर्गत गैसो का रस्सी के समान अथार्त निर्गत गैसो के बल का उपयोग कर गमन करते हैं।
  4. मेरा भाष्य-जहाँ सूर्य चंद्रादि पिण्ड विद्यमान हैं, जहाँ वातावरण न होने के कारण सूर्य की रश्मियों का क्षय नहीं होता, ऐसे अन्तरिक्ष में सूर्य किरणो को सोखकर, उनसे सौर पटलो की तरह अधिकांश ऊर्जा सोखने वाले चमकरहित विशिष्ट गेरुए स्पेस धारण कर मुनि निर्गत गैसो का रस्सी के समान अथार्त निर्गत गैसो के बल का उपयोग कर गमन करते हैं।
  5. दोषपूर्ण पुखराज एवं उसके प्रभा व (1) सुन्न-चमकरहित जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, (2) चीरी-धारी या लकीर दिखे-बंधु-बाँधवों से विरोध, (3) दुधिया श्वेत-शरीर पर चोट का डर, (4) जाल-कई धारियाँ-संतान के लिए हानिकारक, (5) श्याम तथा (6) श्वेत बिन्दु का-घातक है, (7) रक्तिभ-लाल छींटे-धनधान्य नाशक, (8) खड्डा-लक्ष्मी घटाए तथा (9) रंगा-रोग वृद्धि।
  6. ' ' इस अर्थ में ऐसा लगता तो है कि आकाश में वायु-शक्ति के द्वारा गमन हो रहा है किंतु इस अनुवाद में पूरा अर्थ नहीं निकलता, उसका अनुवाद मेरे अनुसार इस प्रकार है: ‘ जहाँ सूर्य-चंद्रादि पिंड विद्यमान हैं (अर्थात अंतरिक्ष), जहाँ सूर्यरश्मियों का क्षय नहीं होता (अर्थात जहाँ वातावरण नहीं हैं क्योंकि वातावरण में सूर्यरश्मियों का क्षय होता है), ऐसे अंतरिक्ष में चमकरहित विशिष्ट गेरुए वस्त्र धारणकर (वे वस्त्र जो उन पर गिरनेवाली सूर्यकिरणों को सोख लेते हैं अतएव चमकरहित हैं।
  7. ' ' इस अर्थ में ऐसा लगता तो है कि आकाश में वायु-शक्ति के द्वारा गमन हो रहा है किंतु इस अनुवाद में पूरा अर्थ नहीं निकलता, उसका अनुवाद मेरे अनुसार इस प्रकार है: ‘ जहाँ सूर्य-चंद्रादि पिंड विद्यमान हैं (अर्थात अंतरिक्ष), जहाँ सूर्यरश्मियों का क्षय नहीं होता (अर्थात जहाँ वातावरण नहीं हैं क्योंकि वातावरण में सूर्यरश्मियों का क्षय होता है), ऐसे अंतरिक्ष में चमकरहित विशिष्ट गेरुए वस्त्र धारणकर (वे वस्त्र जो उन पर गिरनेवाली सूर्यकिरणों को सोख लेते हैं अतएव चमकरहित हैं।
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