यथोक्त उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- परन्तु उस दिन यथोक्त ऋतुकाल न हो अथवा अन्य कोई अड़चन हो तो अन्य कोई ऋतुकाल का शुभ दिन देखकर, उस दिन गर्भाधान संस्कार करना चाहिए ।
- मेरा असमंजस यही है-क्या कालान्तर में कतिपय कारणों, जिनकी पहचान की जा सकती है, के चलते नारी की यथोक्त स्थिति विद्वत मानस में बनती गयी।
- अर्थ-हे राजन! यदि पूरे नवरात्र भर उपवास व्रत न कर सकता हो तीन दिन अथवा एक दिन भी उपवास करने पर मनुष्य यथोक्त फल का अधिकारी हो सकता है.
- यह सब सुनकर मुनिश्रेष्ठ नारदजी ने प्रणत होकर यथोक्त रीति से श्री राधाष्टमी में यजन-पूजन किया! जो मनुष्य इस लोक में राधाजन्माष्टमी-व्रत की यह कथा श्रवण करता है, वह सुखी, मानी, धनी और सर्वगुणसंपन्न हो जाता है।
- श्रुति भी है-तद् यो यो देवानां प्रत्यबुध्यत स एव तदभवत्तद्यथर्षीणां तथा मनुष्याणां तद्धैतत्पश्यन् ऋषिर्वामदेवः प्रतिपेदेऽहं मनुरभवं सूर्यश्च ' (देवता, ऋषि और मनुष्यों में जिस जिसने यथोक्त विधि से आत्मा का यथार्थ ज्ञान प्राप्त किया वही आत्मा (ब्रह्म) हो गया।
- अनुराग जी, बिलकुल सही टोका है और गिरिजेश जी ने तो खैर यथोक्त परम्परा का ही मान रखा है-मुझे यह गुत्थी सुलझानी है कि अवेस्ता के असुर ऋग्वेद में सुर कैसे हो गए? और यह आसान नहीं है-काफी बौद्धिक मीमांसा की दरकार है-हिम्मत पस्त है मेरी!
- “कितु तुलसीकृत रामचरित मानस ने अँधश्रद्धा की जो लहर चलायी” मैं डॉ अमर जी की यथोक्त धारणा से असहमत हूँ-मुझे नहीं लगता उन्होंने ठीक ठीक और आद्योपांत मानस पढी है-मानस के बारे में ऐसे स्वीपिंग स्टेटमेंट ऐसे ही होते हैं जो वक्तव्य देने वालों के मानस अवगाहन की अपर्याप्तता की पोल खोलते हैं!
- “कितु तुलसीकृत रामचरित मानस ने अँधश्रद्धा की जो लहर चलायी” मैं डॉ अमर जी की यथोक्त धारणा से असहमत हूँ-मुझे नहीं लगता उन्होंने ठीक ठीक और आद्योपांत मानस पढी है-मानस के बारे में ऐसे स्वीपिंग स्टेटमेंट ऐसे ही होते हैं जो वक्तव्य देने वालों के मानस अवगाहन की अपर्याप्तता की पोल खोलते हैं!
- “ कितु तुलसीकृत रामचरित मानस ने अँधश्रद्धा की जो लहर चलायी ” मैं डॉ अमर जी की यथोक्त धारणा से असहमत हूँ-मुझे नहीं लगता उन्होंने ठीक ठीक और आद्योपांत मानस पढी है-मानस के बारे में ऐसे स्वीपिंग स्टेटमेंट ऐसे ही होते हैं जो वक्तव्य देने वालों के मानस अवगाहन की अपर्याप्तता की पोल खोलते हैं!
- पत्नी को कथित सड़ी गली सब्जी तो मंजूर है मगर इस बात से वे खफा हैं कि मैं सब्जी मंडी में यथोक्त अहैतुक मदद ले ही क्यों रहा हूँ..अब लीजिये इसमें भी नुक्स!लगता है दाम्पत्य जीवन की समरसता के लिए अब अपनी एक अच्छी खासी हाबी की बलि देनी ही पड़ेगी.....जाएँ वे खुद ही सब्जी खरीदें..