लालसी उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- " मनुष्यात्माअपने जिन-जिन सुखों का लालसी बनकर और उन्हीं को मुख्य रखकर अपने जिन-जिनसुख उत्पादक भावों क की तृप्ति ढूँढता है, और उनकी तृप्तियाँ क्या अपनेऔर क्या विश्व के और नाना अस्तित्वों के उचित अधिकार वा उनके सम्बन्धमें अपने आवश्यक कर्त्तव्य-कर्मों को पूरा करने के विषय में अबोधी, अन्धा, उदासीन, वा बेपरवाह रहकर अपनी एक वा दूसरे प्रकार की मिथ्या औरअपने एक वा दूसरे अन्यायमूलक कर्म के द्वारा अपने और उनके लिए विविधप्रकार से अपहरणकारी व हानिकारक बनता है, उसके ऐसे सुख-उत्पादक सब प्रकारके भाव नीच अनुराग कहलाते हैं.