कृपा पूर्वक उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- और मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ की इस धर्म युद्ध को किसने जीता? कृपा पूर्वक आप अपना निष्पक्ष मत देने की कृपा करे! क्यूंकि यहाँ सभी वीरों में कुछ भ्रांतियां उत्पन्न हो गई हैं!
- और मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ की इस धर्म युद्ध को किसने जीता? कृपा पूर्वक आप अपना निष्पक्ष मत देने की कृपा करे! क्यूंकि यहाँ सभी वीरों में कुछ भ्रांतियां उत्पन्न हो गई हैं!
- और मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ की इस धर्म युद्ध को किसने जीता? कृपा पूर्वक आप अपना निष्पक्ष मत देने की कृपा करे! क्यूंकि यहाँ सभी वीरों में कुछ भ्रांतियां उत्पन्न हो गई हैं!
- “ समझदारी ” (अंडरस्टैंडिंग-Understanding) मैं समझदारी हूँ, मेरे परमपिता समस्त ब्रह्माण्ड (The Universe) के जन्मदाता है, पालक है, उद्धारक हैं (शरीर जीर्ण होने पर कृपा पूर्वक उसका नवीनीकरण कर देतें है।
- मेरे सामने आदर्णीय लाला जी के मुक्तकों का एक अप्रकाशित संग्रह रखा हुआ है जिसे उन्होंने मुझे 27. 02.09 को बडी ही कृपा पूर्वक सौंपा था और जिसके प्रकाशन के लिये मैं प्रयासरत हूँ, से कुछ मुक्तक यहाँ देना चाहूँगा।
- मैं आपका दास हुं यह समझकर कृपा पूर्वक क्षमा करो | मैं आपका आवाह्न करना नहीं जानता विसर्जन करना नहीं जानता पूजा करने का ढंग नहीं जानता, है प्रभु मुझे क्षमा करो मंत्रहिन् क्रियाहीन तथा भक्तिहिन् जो पूजन [...]
- उनसे मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि हमारे लिए कश्मीर से रिपोर्टिंग करोगे? कश्मीर के तीर्थ चरार ए शरीफ में अफगान मूल के आतंकवादी मस्तगुल ने कब्जा कर लिया था और रजत शर्मा ने कृपा पूर्वक मुझे यह मौका दिया था कि मैं इस पूरे मामले को कवर करूं।
- प्रभु श्रीराम ने बंदर ताऊ पर सीता जी का इतना स्नेह देखा तो उन्होनें कृपा पूर्वक बंदर ताऊ को सम्मान स्वरूप एक पगडी (साफ़ा) अपने हाथों से पहनायी साथ ही एक लठ्ठ भी भेंट में देते हुये कहा-जब तक यह संसार रहेगा ताऊ, तब तक तेरा नाम रहेगा.
- मन्दमति के कारण, असार इस संसार में, मैं आपका भजन नहीं कर सका, अतएव अन्धें की तरह भटकता ही रहा, ऐसी दशा में कृपा पूर्वक मेरी रक्षा करना उचित हीं है, क्योंकि आपके भत्तफों में मेरे से बढ़कर दीन कोई नहीं है, और तीनों लोकों में दीनों की रक्षा में तत्पर आपके समान शरण देने वाला भी कोई नहीं है।
- हे पशुपते! अपनी मन्दमति के कारण, असार इस संसार में, मैं आपका भजन नहीं कर सका, अतएव अन्धें की तरह भटकता ही रहा, ऐसी दशा में कृपा पूर्वक मेरी रक्षा करना उचित हीं है, क्योंकि आपके भत्तफों में मेरे से बढ़कर दीन कोई नहीं है, और तीनों लोकों में दीनों की रक्षा में तत्पर आपके समान शरण देने वाला भी कोई नहीं है।