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चौंक जाना उदाहरण वाक्य

चौंक जाना अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. जरूरी नहीं है, कतई जरूरी नहीं है इसका सही ढंग से पढ़ा जाना, जितना ज़रूरी है किसी नागवार गुजरती चीज़ पर मेरा तड़प कर चौंक जाना उबलकर फट पड़ना या दर्द से छटपटाना आदमी हूं और जिंदा हूं, यह सारे संसार को बताना!
  2. जरूरी नहीं है, कतई जरूरी नहीं है इसका सही ढंग से पढ़ा जाना, जितना ज़रूरी है किसी नागवार गुजरती चीज़ पर मेरा तड़प कर चौंक जाना उबलकर फट पड़ना या दर्द से छटपटाना आदमी हूं और जिंदा हूं, यह सारे संसार को बताना!
  3. जरूरी नहीं है, कतई जरूरी नहीं है इसका सही ढंग से पढ़ा जाना, जितना ज़रूरी है किसी नागवार गुजरती चीज़ पर मेरा तड़प कर चौंक जाना उबलकर फट पड़ना या दर्द से छटपटाना आदमी हूं और जिंदा हूं, यह सारे संसार को बताना!
  4. कुछ अर्सा पहले, हिंदी साहित्य के वरिष्ठ आलोचक डा 0 नामवर सिंह ने, जब उर्दू शायरी पर अपने खयालात का इज़्हार करते हुए, अचानक ही यह फ़रमान जारी कर डाला, कि बशीर बद्र इस सदी के सब से बड़े शायर हैं, तो मेरा चौंक जाना स्वाभाविक था।
  5. दयानंद पांडेय किसी नागवार गुज़रती चीज़ पर / मेरा तड़प कर चौंक जाना / उबल कर फट पड़ना / या दर्द से छ्टपटाना / कमजोरी नहीं है / मैं ज़िंदा हूं / इस का घोषणापत्र है / लक्षण है इस अक्षय सत्य का कि आदमी के अंदर बंद है एक शाश्वत ज्वालामुखी / ये चिंगारियां हैं उसी की जो यदा कदा बाहर [...]
  6. किसी नागवार गुज़रती चीज पर मेरा तड़प कर चौंक जाना, उबल कर फट पड़ना या दर्द से छटपटाना कमज़ोरी नहीं है मैं जिंदा हूं इसका घोषणापत्र है लक्षण है इस अक्षय सत्य का कि आदमी के अंदर बंद है एक शाश्वत ज्वालामुखी ये चिंगारियां हैं उसी की जो यदा कदा बाहर आती हैं और जिंदगी अपनी पूरे ज़ोर से अंदर धड़क रही है-यह सारे संसार को बताती हैं।
  7. किसी नागवार गुज़रती चीज पर मेरा तड़प कर चौंक जाना, उबल कर फट पड़ना या दर्द से छटपटाना कमज़ोरी नहीं है मैं जिंदा हूं इसका घोषणापत्र है लक्षण है इस अक्षय सत्य का कि आदमी के अंदर बंद है एक शाश्वत ज्वालामुखी ये चिंगारियां हैं उसी की जो यदा कदा बाहर आती हैं और जिंदगी अपनी पूरे ज़ोर से अंदर धड़क रही है-यह सारे संसार को बताती हैं।
  8. अँधेरे मुँह गया अँधेरे मुँह पलट आया गोया उजाले से मुँह चुराने जैसे मुहावरों का अर्थ लिखता-वाक्य प्रयोग करता हुआ गाड़ी अभी लेट है कितनी पता नहीं ऊँघता सहायक स्टेशन मास्टर भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है वानरों के असमाप्य करतब में कट रही है रात यह न पूछो कि कब आएगी ' उत्सर्ग एक्सप्रेस ' पूछ सको तो पूछ लो इस जगह का नाम जिसे जिहवाग्र पर लाते हुए इन दिनों चौंक जाता हूँ जागरण के बावजूद वैसे नींद के भीतर चौंक जाना कौन-सी बड़ी बात है।
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