चिड़िया का बच्चा उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- खैर, आप नहीं मानते, तो उस नन्ही-सी जान...यानी चिड़िया के उस नन्हे शरीर बच्चे को ही कहानी का नायक मान लेते हैं!...पर अब मेहरबानी करके थोड़ा पीछे चलें।...अतीत के उस छोर पर, जब चिड़िया का बच्चा अभी अस्तित्व में नहीं आया था...चिड़िया ने द्घोंसला बनाया है नंदू के छोटे से द्घर में...और नंदू खुश है।
- मैंने बचपन में एक कविता पढ़ी थी चिड़िया वाली...एकदम सही से तो नही याद लेकिन उसका मतलब कुछ इस तरह था कि चिड़िया का बच्चा जब घोंसले से बाहर निकाल कर देखता है तो उसका ये भ्रम टूट जाता है कि सारी दुनिया महज उसका ये घोंसला ही है...कुछ इस तरह थी लाइन कि....अब...
- मैंने बचपन में एक कविता पढ़ी थी चिड़िया वाली...एकदम सही से तो नही याद लेकिन उसका मतलब कुछ इस तरह था कि चिड़िया का बच्चा जब घोंसले से बाहर निकाल कर देखता है तो उसका ये भ्रम टूट जाता है कि सारी दुनिया महज उसका ये घोंसला ही है...कुछ इस तरह थी लाइन कि....अब
- मेरा मतलब यह था कि अगर हुक्म हो तो मैं पहाड़ी के बाहर जाकर इधर-उधर की कुछ खबर ले आऊं या जमानिया में जाकर इसी बात का पता लगाऊं कि राजा गोपालसिंह के दिल से लक्ष्मीदेवी की मुहब्बत एकदम क्यों जाती रही जो आज तक उस बेचारी को पूछने के लिए एक चिड़िया का बच्चा भी नहीं भेजा।
- औरत शहर के शोर से दूर किसी पहाड़ के सूनसान में अपने को पाकर संभाल लेना चाहती है, जैसे वह अभी ताज़ा दुनिया में आयी चिड़िया का बच्चा हो और उसे हर बुरे असर से बचा लिये जाने की ज़रूरत हो, फिर यह सोचकर औरत का मन हदसने लगता है कि पहाड़ पर वह साफ़ पानी कहां पायेगी?
- सपना जी ने लिखा था-“ बेगार-परम्परा को मैंने जल्द ही आत्मसात कर लिया-ठीक वैसे ही जैसे चिड़िया का बच्चा उड़ना सीख जाता है, साँप का बच्चा काटना, फूल खिलना, गरमी के बाद बारिश का आना ” ऐसा होने के बावजूद भी अपनी स्थिति की आलोचना कर पाना और अपनी पहचान के लिए सचेत होना, एक डायरी लिखना अपने आप में बहुत बड़ा साहस है ।
- मगर भई, कहानी का नायक वह नन्ही-सी जान...यानी वह जरा-सा, शरीर, उध्मी चिड़िया का बच्चा भी तो हो सकता है, जो अपने नन्हे-नन्हे रोएंदार भाई-बहनों से झगड़ते हुए एकाएक द्घोंसले से निकलकर बाहर आ गिरा था और...और...उसने एक नन्ही-सी कहानी को जन्म दिया था! पफर्श पर इध्र-उध्र बिखरे तिनकों के साथ, एक बेहद मासूम, रोएंदार नन्हीं शख्सियत महसूस की जा सकती थी।...और वह नन्ही कहानी भी, जो मैं सुनाने जा रहा हूँ।...
- एक बात तो साफ नज़र आ रही है कि कैसे एक जीता जागता व्यक्ति रोबॉट में तब्दील होता है...सपना जी ने लिखा था-“बेगार-परम्परा को मैंने जल्द ही आत्मसात कर लिया-ठीक वैसे ही जैसे चिड़िया का बच्चा उड़ना सीख जाता है,साँप का बच्चा काटना,फूल खिलना,गरमी के बाद बारिश का आना ” ऐसा होने के बावजूद भी अपनी स्थिति की आलोचना कर पाना और अपनी पहचान के लिए सचेत होना,एक डायरी लिखना अपने आप में बहुत बड़ा साहस है ।