फूलों की क्यारी उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- ताजमहल के पूरा होने के उपरान्त चारबाग के अन्दर हर एक उद्यान को १६ फूलों की क्यारी में विभाजित किया गया, जिनका योग 64 हुआ। यह कहा जाता है कि हर फूलों की क्यारी में करीब 400 पौधे लगाये गये।
- स्र्दन, फरियाद गिरां= अमूल्य, महंगा, बहुमूल्य, भारी, महत्वपूर्ण गिरियां= रोते हुए, चीखते हुए गिरौ= वचन, गिरवी गिरिफ़्तार= बन्दी बनाना, पकड़ना, वश होना, सम्मोहित, बन्दी गीर= विजयी, लेने वाला, अधिकारी, छीनने वाला गुल= गुलाब, फूल, गहना, छाप गुलज़ार= उपवन, फूलों की क्यारी
- पगतलियों के चुम्बन से यों मांग सजा लेती हैं राहें लग जाती है खिलने चारों ओर स्वयं फूलों की क्यारी पैंजनियों से बातें करने को लालायित हुई हवायें अपने साथ भेंट में लेकर आती गंधों भरी पिटारी वाह बहुत सुन्दर शुभकामनायें
- चाल अगर हिरनी सी है तो, स्वर कोयल की मीठी तान, अंग अंग मदिरालय उनका, जो दे जीवन को नया प्राण, एक फूल क्या वो तो के फूलों की क्यारी लगती हैं, स्वर्ग की नारी लगती हैं।
- बच्चों की कविता लिखें उनकी बातें ही रखें बच्चों को न दें उपदेश उन्हें मिले केवल संदेश कविता हो प्यारी-प्यारी जैसे फूलों की क्यारी क्यारी के इन फूलों को बच्चे ख़ुद ही चुन लेंगे फूलों में बिखरे संदेश अपने आप ही गुन लेंगे.
- लाल सितारोंवाली साड़ी में भाभीजी, उनकी गोद में सफेद कपड़े में लिपटा बेजान बच्चा, उसके भाई की गोल-गोल आंखें, मां का बढ़ा हुआ पेट, भाभीजी के मेहंदी लगे पांव, फूलों की क्यारी, हाथों की कटी-फटी उलझी हुई लकीरें...
- काम की बात बीसवाँ हिस्सा थी जिससे मालूम पड़ा कि अभी कमला का विवाह नहीं हुआ, उसे अपनी फूलों की क्यारी को सँभालने का बड़ा प्रेम है, ' सखी ' के नाम से ' महिला-मनोहर ' मासिक प्रत्र में लेख भी दिया करती है।
- एक निष्कपट उचाट के साथ रहते-रहते, सपाट भरी ऊष्मा को भरोसा होता गया था कहते-कहते, कभी कबीले रंग बदल कर फूलों की क्यारी होंगे कभी साथ गाड़े सुर स्वलाप के आलापों पर भारी होंगे और वैसी सारी कसमें टूट कर निकलेंगी गिरफ़्त की बहस से “क्या करना है”
- हर रहस्य का उत्तर मस्ती इस धरा पर यही है मुक्ति जीवन क्यारी जीवन कर ले फूलों की क्यारी, नए आलम की कर ले तैयारी मस्ती मस्ती फूल खिला ले अपना जीवन हम महका ले जिसके मन मस्ती होती उसके मन बसता भगवन मस्ती के तिलक का चंदन करता आत्मा पावन
- एक निष्कपट उचाट के साथ रहते-रहते, सपाट भरी ऊष्मा को भरोसा होता गया था कहते-कहते, कभी कबीले रंग बदल कर फूलों की क्यारी होंगे कभी साथ गाड़े सुर स्वलाप के आलापों पर भारी होंगे और वैसी सारी कसमें टूट कर निकलेंगी गिरफ़्त की बहस से “ क्या करना है ”