बाह्यार्थ उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- {{Menu}} {{बौद्ध दर्शन}} == योगाचार दर्शन == {{tocright}} (विज्ञानवाद) == परिभाषा == * जो ' बाह्यार्थ सर्वथा असत हैं और एकमात्र विज्ञान ही सत है '-ऐसा मानते हैं, वे विज्ञानवादी कहलाते हैं।
- इनके सिद्धान्त इस प्रकार हैं, यथा-# परमार्थत: पुद्गल और धर्मों की स्वभावसत्ता पर विचार, # व्यवहारत: बाह्यार्थ की सत्ता पर विचार, # आर्यसन्धिनिर्मोचनसूत्र का वास्तविक अर्थ तथा # परमार्थत: सत्ता का खण्डन करनेवाली प्रधान युक्ति का प्रदर्शन।
- उक्त के सर्वथा विपरीत आंग्ल साहित्य में वर्ण्य विषय के आधार पर काव्य को स्वानुभूति निरूपक (आत्माभिव्यन्जक, विषयीप्रधान, व्यक्तित्व प्रधान, सबजेकटिव) तथा तथा बाह्यार्थ निरूपक (जगताभि व्यंजक, विषयप्रधान, कृतित्वप्रधान, ऑब्जेक्टिव) वर्गों में विभाजित किया गया है.
- इसके विनेय जन (पात्र) श्रावकवर्गीय वे लोग हैं, जो स्वलक्षण और बाह्यार्थ की सत्ता पर आधृत चतुर्विध आर्य सत्यों की देशना के पात्र (भव्य) हैं स्वलक्षण सत्ता एवं बाह्य सत्ता के आधार पर चार आर्यसत्यों की स्थापना इस प्रथम धर्मचक्र की विषयवस्तु है।