भयहीन उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- इन मुलायम और गरम पंखों के नीचे कई चाहतें, कई सपने, कई कल्पनाएँ, आशाएँ अपनी छोटी, पतली और लम्बी गर्दनें निकालकर निरीह और भयहीन आँखों से संसार का स्तंभित-सी देख रही थीं-उस आकाश, उस धरती को जो लाखों वर्ष पुरानी थी, परन्तु उसके लिए आज ही, अभी, कच्चे दूध सी मीठी और कुनकुनी, सिर्फ़ उसके लिए बनी थी, सिर्फ़ उसी के लिए ही।
- प्रशान्तात्मा विगतभीर्ब्रह्मचर्यव्रते स्थितः, मनः संयम्य मच्चित्तो युक्त आसीत मत्परः || ” (गीता ६ / १ ४)-स्थिर प्रज्ञ, भयरहित, ब्रह्मचर्य में लीन, मन को वश में किये हुए, सन्तुलित व्यक्ति सदा आत्मलीन रहता है तथा परमतत्व को प्राप्त होता है | तथा जो यह मान लेता है कि समस्त गुण त्रिगुणात्मिका प्रकृति से ही हैं वह अध्यात्म को प्राप्त हो जाता है और इसलिये भयहीन हो जाता है “
- तन, मन, धन से जो वतन के लिए वलिदान हुए वे तो अब किस्से कहानियां बन गए वैश्विक बदलाव में घिरी है जन-संस्कृति चरागाहों में आ गए हैं बनैले पशु बेमेल, भुतही आकृति वे भयहीन, मुक्त भाव से आ गए हैं लेकर अपने साज-सामान, नववृत्ति परतंत्रता की हवा चलने लगी है चारों ओर से ऐसे में आमजन अपने दायरे में असमर्थ और विवश हैं एक ऐसा युग आ गया है जहां विकास चौबन्द है अब तो अपयश भी यश है उनके हाथों में मुक्त बाजार का कलश है।