श्वेतपटल उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- रोग होने पर, नाड़ीक्षय के पूर्व, महामारीशोथ की सामान्य चिकित्सा के अतिरिक्त कार्निया और श्वेतपटल के संगम स्थान (कार्नियो-स्क्लीरल जंक्शन) पर एक छोटा छेद कर दिया जाता है।
- रोग होने पर, नाड़ीक्षय के पूर्व, महामारीशोथ की सामान्य चिकित्सा के अतिरिक्त कार्निया और श्वेतपटल के संगम स्थान (कार्नियो-स्क्लीरल जंक्शन) पर एक छोटा छेद कर दिया जाता है।
- प्रत्येक पेशी का एक सिरा कपालास्थि (खोपड़ी की हड्डी) (skullbone) से जुड़ा रहता है तथा दूसरा सिरा नेत्रगोलक के श्वेतपटल (sclera) से जुड़ा रहता है।
- स्पष्ट श्वेतपटल में चीरे को लेकर चिंता यह है कि इससे अंतर्नेत्रशोथ की वृद्धि की संभावना अधिक हो सकती है लेकिन इस संदेह की पुष्टि के लिए कोई निर्णायक अध्ययन नहीं हुआ है.
- बाह्य तन्तुमयी परत नेत्रगोलक को (पिछले भाग को छोड़कर जहां श्वेतपटल में एक छोटा-सा छिद्र होता है जिसमें से होकर ऑप्टिक तन्त्रिका के तन्तु नेत्रगोलक से मस्तिष्क में पहुंचते हैं) पूरी तरह से ढंके रहती है।
- शल्य प्रबंधन अग्रभाग नेत्रकाचाभ-छेदन को शामिल कर सकता है, कभी-कभी पक्ष्माभिकी परिखा में या अग्रभाग कोष्ठ में (परितारिका के सामने) आंतराक्षि लेन्स प्रत्यारोपित करने की या ऐसा कम ही होता है, श्वेतपटल में सिलने की वैकल्पिक योजना बनाई जा सकती है.
- अतिगलग्रंथि (हाइपरथाइरॉइड) टकटकी (डेलरिम्पल लक्षण) में पलकें सामान्य से अधिक ऊपर की ओर प्रत्यादिष्ट होती हैं (श्रेष्ठतर स्वच्छमण्डल एवं श्वेतपटल किनारा (सुपीरियर कॉर्नियोस्क्लेरल लिम्बस) सामान्य स्थिति होती है, जहां आंख की पुतली की ऊपरी सीमा पर आंख का “सफ़ेद” शुरू होता है).
- प्रक्रिया में इस कदम कभी कभी फट करने के लिए छोटे से रक्त वाहिकाओं का कारण बन सकती, खून बह रहा है या में परिणामस्वरूप subconjunctival नकसीर (सफेद में श्वेतपटल आंख की), एक हानिरहित पक्ष प्रभाव है कि कई हफ्तों के भीतर हल.
- पीलिया या जॉंडिस, जिसे कामला या इक्टेरस (गुणवाचक विशेषण: कामलिक या इक्टेरिक) भी कहा जाता है, त्वचा, श्वेतपटल (आंखों का सफ़ेद भाग) के ऊपर की श्लेष्मल झिल्लियों और अन्य श्लेष्मल झिल्लियों का एक पीला-सा विरंजन है जो बिलीरूबिन की अधिकता (रक्त में बिलीरूबिन का बढ़ा हुआ स्तर) के कारण होता है.
- किसी भी प्रकार की अतिगलग्रंथिता में मौजूद रह सकने वाली लघु दृष्टि (आंख)संबंधी लक्षण हैं पलक प्रत्याहार (आईलिड रिट्रैक्शन) (“टकटकी”), अतिरिक्त नेत्र मांसपेशियों की कमजोरी और पपनी का मंद पड़ना.[कृपया उद्धरण जोड़ें] अतिगलग्रंथि (हाइपरथाइरॉइड) टकटकी (डेलरिम्पल लक्षण) में पलकें सामान्य से अधिक ऊपर की ओर प्रत्यादिष्ट होती हैं (श्रेष्ठतर स्वच्छमण्डल एवं श्वेतपटल किनारा (सुपीरियर कॉर्नियोस्क्लेरल लिम्बस) सामान्य स्थिति होती है, जहां आंख की पुतली की ऊपरी सीमा पर आंख का “सफ़ेद” शुरू होता है).