ऊरु उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- (इस विराट् पुरुष के मुंह से ब्राह्मण, बाहु से राजस्व (क्षत्रिय), ऊरु (जंघा) से वैश्य और पद (चरण) से शूद्र उत्पन्न हुआ।)
- (इस विराट् पुरुष के मुंह से ब्राह्मण, बाहु से राजस्व (क्षत्रिय), ऊरु (जंघा) से वैश्य और पद (चरण) से शूद्र उत्पन्न हुआ।)
- इनसे नीचे ऊरु में केवल तीन पेशियाँ और द्विशिरस्का औरवी (biceps femoris), कडराकल्पा (semitendinosus) और कलाकल्पा (semimembranosus) सारे ऊरुपृष्ठ को ढके हुए हैं।
- ऊरु में उतरने के पश्चात् ही उससे नितलू (profunda) शाखा निकलती है, जिसकी परिवेष्ठक (circumflex) और वेधक (perforating) शाखाएँ ऊरु की पेशियों में तथा अस्थि की रुधिर पहुँचाती हैं।
- ऊरु में उतरने के पश्चात् ही उससे नितलू (profunda) शाखा निकलती है, जिसकी परिवेष्ठक (circumflex) और वेधक (perforating) शाखाएँ ऊरु की पेशियों में तथा अस्थि की रुधिर पहुँचाती हैं।
- अंत: सक्थि शिरा जानु पर से निकलकर ऊरु प्रांत में सीधी ऊपर पहुँचकर, वंक्षणी स्नायु के नीचे गंभीर आवरणी के सक्थि छिद्र द्वारा भीतर प्रवेश करके, सामान्य ऊ डिग्री शिरा (
- खाज दो अंगुलियों के बीच में किनारे पर, कलाई पर या कोहनी के पीछे, ऊरु मूल (ग्रोइन) तथा घुटनों पर और नितंबों पर छोटे गुमड़ा (बंप) और फफोले लिए हुए होते हैं।
- खाज दो अंगुलियों के बीच में किनारे पर, कलाई पर या कोहनी के पीछे, ऊरु मूल (ग्रोइन) तथा घुटनों पर और नितंबों पर छोटे गुमड़ा (बंप) और फफोले लिए हुए होते हैं।
- (इस विराट् पुरुष के मुंह से ब्राह्मण, बाहु से राजस्व (क्षत्रिय), ऊरु (जंघा) से वैश्य और पद (चरण) से शूद्र उत्पन्न हुआ।)
- इसमे विशिष्ट प्रकार की पीडा सिफ़क प्रदेश (Gluteal region) से प्रारम्भ होकर क्रमश: कटि के पिछले भाग, ऊरु, जानु, पिण्डिलोयों, तथा पैरो तक आती है।