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पिघलता हुआ उदाहरण वाक्य

पिघलता हुआ अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. लावा बनकर बह रहा है पिघलता हुआ दर्द, जिसकी पीड़ा का इज़हार कितनी सुंदरता से किया है महावीर जी ने अपने पीड़ित मन के शब्द सुरा से “हंसते खेलते एक साल बीत गया, इतनी कशमकश भरे जीवन में अब आयु ने भी शरीर से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया था.”
  2. धीरे-धीरे आँखों से ओझल होना नियन्त्रण हटाना नियंत्रण हटाना विच्छेद करना विच्छेद करना खो जाना नियंत्रण हटाना पिघलता हुआ पिघल्ना पिगलाना धीरे-धीरे घुल जाना गरमाहट देने वाला कोई व्यवस्था का खत्म होना धीरे-धीरे घुल जाना सहानुभूति जगाता हुआ ऊष्मोत्पादक पिघलाना [पिघलना] पिघलना भंग करना भंग करना गलाना खत्म होना सहानुभूति जगाता हुआ
  3. ये उजड़ते हुए वन, सुकड़ती हुई नदियां, पिघलती हुई बर्फ़, हर तरफ़ उमड़ता हुआ काल का कोलाहल, बदलती हुई धरती, पिघलता हुआ आसमान, इन सब को तो शायद अब हम रोक ना पायेगें, इस जीवन को, इस धरती को, इस आसमान को, इस मन को, हम दिन-प्रतिदिन और नारकीय बनाते जायेगें ।
  4. बढ़ रहीं रश्मियाँ हर किसी ओर से सारे संशय के कोहरे छँटे जा रहे जो कुहासे थे बदरंग पथ में खड़े एक के बाद इक इक घटे जा रहे आस्था दीप की बातियों में ढली और संकल्प घॄत में पिघलता हुआ सत्य के बोध को मान सर्वोपरि मन में निश्चय नया और बढ़ता हुआ
  5. लावा बनकर बह रहा है पिघलता हुआ दर्द, जिसकी पीड़ा का इज़हार कितनी सुंदरता से किया है महावीर जी ने अपने पीड़ित मन के शब्द सुरा से “ हंसते खेलते एक साल बीत गया, इतनी कशमकश भरे जीवन में अब आयु ने भी शरीर से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया था. ”
  6. शो की शुरुआत में ही आँखे नम होने लगी, लड़की को जन्म देने की वजह से पीड़ा झेल रही महिलाओ से रूबरू करवाया गया, उनकी व्यथा इतनी तीव्र थी कि शब्द लड़खड़ा रहे थे, आँखे ही नहीं गला भी भर रहा था, आमिर की आँखों में भी कुछ पिघलता हुआ सा महसूस हु आ....
  7. जब अँधेरा होता है तो जला ली जाती हूँ मैं और उजेरा होते ही एक फूँक से बुझा दी जाती हूँ मैं ओ! रोशनी के दीवानों क्या पाते हो ऐसे तुम क्यों नही जलने देते पूरा क्षण-क्षण जला-बुझा कर तुम मत यूँ बुझाओ मुझको ज्यादा दर्द होता है कि पिघलता हुआ मोम ज्यादा गर्म होता है ।
  8. ये उजड़ते हुए वन, सुकड़ती हुई नदियां, पिघलती हुई बर्फ़, हर तरफ़ उमड़ता हुआ काल का कोलाहल, बदलती हुई धरती, पिघलता हुआ आसमान, इन सब को तो शायद अब हम रोक ना पायेगें, इस जीवन को, इस धरती को, इस आसमान को, इस मन को, हम दिन-प्रतिदिन और नारकीय बनाते जायेगें ।
  9. मैं वो कविता हूँ जो कोई क़लम न लिख पाई रात के सन्नाटों में तन्हाइयों का शोर में जाने क्यों ज्वालामुखी बन कर उबल पड़ता है इक दर्द, जो सदियों से चट्टान बनकर मेरे भीतर जम गया था सोच की आंच से वही पिघलता हुआ एक पारदर्शी लावा बनकर बह गया जब मैं खाली हुई तब जाकर जाना कि मैं कौन हू Read more
  10. हुआ यूँ की जो भी देखा सब नम नज़र आया ज़मीन पे दर्ज सीलन था शाम का साया गीली रही थी चाँदनी था कितना सुखाया सिल्ली सा बर्फ़ चाँद पिघलता हुआ पाया सीली रात के छीटंों को पोंछ दिन चला आया बरसता हर एक लम्हा बकाया था चुकाया गला रुंधा ;टूटा था, कैसे कैसे दिल ये भर आया पलकें जहाँ झपकी वहीं आँसू छलक आया..
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