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सर्वगत उदाहरण वाक्य

सर्वगत अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. जो हर जगह हैं, जिन से सब कुछ आया है, जो सब कुछ हैं, सब कुछ के आश्रय हैं, हर जगह स्थित (सर्वगत) अनन्त मुझ में भी स्थित हैं ।
  2. सापेक्षता के उनकेउदाहरणों के विरोध में रूसो आचरण की प्रणालियों की एकरूपताओं को प्रस्तुतकरता है और नैतिकता के सर्वगत सिद्धान्तों पर बल देकर आदर्शवादी प्रतिवादको दृढ़ बनाता है कि विषयनिष्ठता के अभाव में कोई नैतिकता नहीं होती.
  3. इस तथ्य ने, कि कई ISO-सृजित मानक सर्वगत, सर्वव्यापी हैं ; कई मौकों पर, “ ISO ” का सामान्य प्रयोग प्रेरित किया है, उस उत्पाद को वर्णित करने हेतु, जो कि मानकों को मानता है ।
  4. मैं समस्त संदेहों से परे, बिना किसी आकार वाला, सर्वगत, सर्वव्यापक, सभी इन्द्रियों को व्याप्त करके स्थित हूँ, मैं सदैव समता में स्थित हूँ, न मुझमें मुक्ति है और न बंधन, मैं चैतन्य रूप हूँ, आनंद हूँ, शिव हूँ, शिव हूँ ॥ 6 ॥
  5. परमशिव का वर्णन करते हुये ‘ प्रयोगसार ' कहता है-नित्यः सर्वगतः सूक्ष्मः सदानन्दो निरामयः | विकाररहितः साक्षी शिवो ज्ञेयः सनातनः || जो नित्य है, सर्वगत है, सूक्ष्म है, सदानन्द है, सम्पूर्ण रोगों से रहित है, सारे विकारों से विहीन है, सनातन है, उसे ‘ शिव ' जानना चाहिये।
  6. व्यावहारिकनिर्णय का परिकल्पनात्मक निर्णय पर प्राधान्य अपने ही क्षेत्र में इन्हेंअनिवार्यतः पूर्वोक्त के अधीनस्थ नहीं कर देता, और यह देखना होता है किवह संकल्प, जिसके अधीन बुद्धि को समझा जा सकता है, सर्वगत रूपेण वैधानिकसंकल्प होता है, न कि आधुनिक अर्थक्रियावादियों का संकल्प जो अपनी निजीप्रकृति के कथन से विशेषित होता है और बहुधा आत्मपरक इच्छा का पर्यायहोता है.
  7. संचार मंत्रालय योजना को व्यावहारिक बनाने के लिए योजना आयोग के साथ मिल कर उचित प्रारूप बना रहा है ताकि 7, 000 करोड़ रूपए लागत वाली इस योजना में सरकार पर कम से कम भार पड़े और सेवा प्रदाता ही सर्विस प्लान के तहत खर्च वहन करे, सरकार पर जो थोड़ा-बहुत भार पड़े भी वह सर्वगत सेवा दायित्व के तहत हो.
  8. नित्यं विभुं सर्वगतं सुसूक्ष्मं तदव्ययं यद्भूतयोनिं परिपश्यन्ति धीराः ॥ ६ ॥ वह जो अदृश्य, अग्राह्य, अगोत्र, अवर्ण और चक्षुःश्रोत्रादिहीन है, इसी प्रकार अपाणिपाद, नित्य, विभु, सर्वगत, अत्यंत सूक्ष्म और अव्यय है तथा जो सम्पूर्ण भूतों का कारण है उसे विवेकी लोग सब ओर देखते हैं ॥ 6 ॥ यथोर्णनाभिः सृजते गृह्णते च यथा पृथिव्यामोषधयः संभवन्ति ।
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