अगण्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- किंतु टाइप कला अपने विस्तृत क्षेत्र तथा अगण्य सुविधाओं का निवारण करने के जितने साधन टाइप कला में उपलब्ध हैं उतने छपाई की किसी और कला में नहीं हैं।
- और वह भी भारत राष्ट्र की सेवा में समर्पित अगण्य सेवकों में से एक नगण्य सेवक नहीं है , जो जयराज न हो कर प्रियराज अथवा बलराज हो सकता है।
- प्रेम तो है वस्तुतः अनामय , निर्विकार , अगण्य चिर सत्व , काश ! ना बनायें उसको हम विषयवस्तु व्यावसायिक व्यवहार की करते हुए संकीर्ण आकलन देने और पाने का ...
- प्रेम तो है वस्तुतः अनामय , निर्विकार , अगण्य चिर सत्व , काश ! ना बनायें उसको हम विषयवस्तु व्यावसायिक व्यवहार की करते हुए संकीर्ण आकलन देने और पाने का ...
- इसमें बार - बार डिक्शनरी के दर्शन की कीमत , गलत स्पेलिंग के कारण बर्बाद हुए कागज की कीमत और स्पेलिंग के वजह से उत्पन्न हुई निरक्षरता की ( अगण्य ) कीमत शामिल नहीं है ।
- ############# होते हैं मन में संवेदन , आज व्यक्त उन्हें हम कर लें , माँ के प्रति अगण्य भावों को सीमित से शब्दों में भर लें .... खून से अपने सींच सींच कर, पनपाती एक जीवन को ..
- हर साल जलाया जाता , एक अक्षम्य अपराध की खातिर रोज सीता हरण होता है , अगण्य दसकंधर से हम गए घिर मुखाग्नि उसको देता , बन मुख्य अतिथि , नव-रावण शातिर कह रहा जलकर रावण, इस पुतले को जलाने से क्या पाया तुमने।
- हर साल जलाया जाता , एक अक्षम्य अपराध की खातिर रोज सीता हरण होता है , अगण्य दसकंधर से हम गए घिर मुखाग्नि उसको देता , बन मुख्य अतिथि , नव-रावण शातिर कह रहा जलकर रावण, इस पुतले को जलाने से क्या पाया तुमने।
- नैसर्गिक अमृत अवदान से हुआ था प्राप्य भावविहीन शुष्क नयनों को अनुभव आनन्द का , अतृप्त वासनाओं की क्रीडा में हुआ था घटित सहज संसर्ग दिव्य देह का.... प्रेम तो है वस्तुतः अनामय,निर्विकार, अगण्य चिर सत्व , काश !ना बनायें उसको हम विषयवस्तु व्यावसायिक व्यवहार की करते हुए संकीर्ण आकलन देने और पाने का ...
- माना जाता हैं के हमारे यहाँ ३३ करोड़ देवी देवता हैं | मैं सहमत हू अपितु मैं तो संख्या और ज्यादा होने का अनुमान रखता हू | ३३ करोड़ संभवतः यह बता रहा हैं के बहुत से देवता रहे हैं संख्या अगण्य हैं | हम लोंग देवता और देवी शब्द का अर्थ ही भूल गए हैं जो सिर्फ ३३ करोड़ पर रुक गए | हमारी तो संस्कृति ही देव संस्कृति कही गयी हैं | देव संस्कृति अर्थात दूसरों को देने वाली संस्कृति | क्यों की हमारे यहाँ तो सदैव से लोंग देव . ..