अनवद्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मैंने तुम्हें देखा है असंख्य बार : मेरी इन आँखों में बसी हुई है छाया उस अनवद्य रूप की।
- आपने जायसी , तुलसी और सूर की रचनाओं पर जो प्रकाश डाला है वह अद्भूत , अभूतपूर्व और अनवद्य है .
- अब आइये उन चालीस प्रसंगों में से कुछेक देखें , जहां ‘गो' शब्द इन्द्रियों का प्रतीक है- अनवद्य अखंड न गोचन गो।
- जो ‘ अनवद्य ' अर्थात् निर्दोष हैं , अखण्ड हैं , वे न तो गोचर हैं न तो गो ही हैं।
- अब आइये उन चालीस प्रसंगों में से कुछेक देखें , जहां 'गो' शब्द इन्द्रियों का प्रतीक है- अनवद्य अखंड न गोचन गो।
- - मैंने चूमा है , और , ओ आस्वाद्य मेरी ! ले गयी है प्रत्यभिज्ञा मुझे उत्स तक जिस की पीयूषवर्षी , अनवद्य , अद्वितिय धार मुझे आप्यायित करती है।
- - मैंने चूमा है , और , ओ आस्वाद्य मेरी ! ले गयी है प्रत्यभिज्ञा मुझे उत्स तक जिस की पीयूषवर्षी , अनवद्य , अद्वितिय धार मुझे आप्यायित करती है।
- अंगारों पर भी प्रिय से अभिसार रचाता चल मधुकर अज अनवद्य अकामी को लेना बाँहों में भर निर्झर जन्म जन्म के घाव भरेंगे फूल बनेंगे अंगारे टेर रहा है जयजयवंती मुरली तेरा मुरलीधर।।207।।
- उठते हैं मादक हवाओं के रेशे लिपटे हुए सोंधी भाप में चूमते हैं उसका शल्क पिघल जाता है वह अनवद्य आवरण एक गाढ़ा लास्य टपकता है शून्य में छोड़ कर यह शरीर घुस जाना चाहता है गीली मिट्टी में घुल जाना चाहता है कणों में
- विधिवत् वह “वेद विद्याव्रतस्नात ' ' था राजनीति-निपुण, सकल कला-निधि था चारों वेद, षट् शास्त्र कण्ठस्थ थे उसको जिससे कि ‘‘दशानन'' पद उसे प्राप्त था बढ़ गया इस भांति वह ‘‘चतुरानन'' से पूजनीय ‘‘पंचानन'' और ‘‘षडानन”से जिस भांति गुरु से भी गुरु पटु वटु हो, वट से बृहत् वट-बीज का वितान हो, उसके समान अद्यावधि वेद-विद्या से- विद्योतित अनवद्य हुआ नहीं विश्व में रावण था नाम उस वीर स्वाभिमानी का चलने से जिसके दहलती यों धरणि- हस्ति-पग से ज्यों डगमग होती तरणि।