अनादिता का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ब्रह्माण्डपुराण के उपर्युक्त तथ्य का उल्लेख करते हुए म . प. गिरिधरशर्मा चतुर्वेदी ‘ पुराणों की अनादिता ' इस निबन्ध शीर्षक में लिखते हैं कि कलियुग के आरम्भ में मनुष्यों की स्मृति और विचार-बुद्धि की दुर्बलता को देखकर भगवान् वेद व्यास ने जहाँ वेद को चार संहिताओं में विभाजित किया , वहीं पुराणों को भी संक्षिप्त कर अठारह विधाओं में बांट दिया गया।
- इस ग्रंथ में भर्तुहरि ने ज्ञान के प्रमाणों के संबंध में जो विमर्श किया है , स्थान स्थान पर दृष्टांत दिए हैं और जो सिद्धांत प्रस्थापित किए हैं, उनसे यह स्पष्ट होता है कि भर्तुहरि पुनर्जन्म , कर्मविषयक यज्ञादि कर्मकाण्ड, वेदों की और सृष्टि की अनादिता आदि विषयों में वैदिक सिद्धांतों पर भी बड़ी श्रद्धा रखने वाला, उनका समर्थक और मोक्ष के बारे में अद्वैतमत को अन्तिम मानने वाला महावैयाकरणिक था।
- इस ग्रंथ में भर्तृहरि ने ज्ञान के प्रमाणों के संबंध में जो विमर्श किया है , स्थान स्थान पर दृष्टांत दिए हैं और जो सिद्धांत प्रस्थापित किए हैं , उनसे यह स्पष्ट होता है कि भर्तृहरि पुनर्जन्म , कर्मविषयक यज्ञादि कर्मकाण्ड , वेदों की और सृष्टि की अनादिता आदि विषयों में वैदिक सिद्धांतों पर भी बड़ी श्रद्धा रखने वाला , उनका समर्थक और मोक्ष के बारे में अद्वैतमत को अन्तिम मानने वाला महावैयाकरणिक था।
- उधर रस्सियाँ आपस में बतियाती हैं हम छोटी बड़ी कितनी हों पर भगवान के यहाँ कोई भेद नहीं प्रभु में अनंतता अनादिता विभुता समाई है जैसे नदियाँ समुद्र में समाती हैं वैसे ही सारे गुण भगवान में लीन हैं अपना नाम रूप खो बैठे हैं तो फिर कोई कैसे बंध सकता है अनंत का पार कैसे कोई पा सकता है ओह ! कमाल है वंदना जी आपका.आप रस्सियों की भी बातें सुन लेतीं हैं ये रस्सियाँ क्या हैं,ज्ञानी ध्यानी भक्त ही हैं जो परब्रह्म से एकाकार की बातें करतीं हैं.आपकी सुन्दर,अनुपम ,भावमयभक्तिमय प्रस्तुति को सादर नमन..नमन... नमन.