अनुतप्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- क्यों कि छवियाँ मुश्किलें पैदा करती हैं और प्रेम अग्निरूप अनुतप्त छवियों से मुक्ति में पिघलना शुरू करता है निर्मल झरने की तरह बहने के लिए।
- मन में घुमड़ रहा है , संघर्षों को झेलता , जीवन की तिक्तताओं और विषमताओं से अनुतप्त शान्ति-हीन जीवन किसी नितान्त अंतरंग से बाँटना चाहती है .
- वह यह है कि इस समय अनन्यभक्ति का अनुसरण करें , अत्यन्त अनुतप्त होकर ईश्वर का भजन करें और गाय, गधा, कुत्ता आदि प्राणियों को समत्व बुद्धि से, सभी प्राणियों मेंआत्मतत्त्व भरा हुआ है, ऐसा मानकर भक्ति करें.
- उन्हें जब तक पूजाहीन दिवस और सेवाहीन रात्रियाँ अनुतप्त नहीं करतीं और जब तक अर्ध्यदान उन्हें कुरेद नहीं जाता , तब तक उनमें निषेधरूपा नारी तत्व का अभाव रहेगा और तब तक वे केवल दूसरों को दु:ख दे सकते हैं।”
- उन्हें जब तक पूजाहीन दिवस और सेवाहीन रात्रियाँ अनुतप्त नहीं करतीं और जब तक अर्ध्यदान उन्हें कुरेद नहीं जाता , तब तक उनमें निषेधरूपा नारी तत्व का अभाव रहेगा और तब तक वे केवल दूसरों को दु : ख दे सकते हैं।
- अनुतप्त न होगा कभी तेरा मन , कर भोर भये भोले का सुमिरन| रख शिव चरणों में मनोरथ अपना, निश्चित मनोकामना होगी पूरन|| सरल सहृदय मन कृपालु बड़े है, जय भोलेनाथ सन्निकट खड़े है| अनसुलझी रहे न कोई उलझन, कर भोर भये भोले का सुमिरन||
- हवा भी शिशिर का आवरण उतार कलियों का सुवास लिए माताल सी वन प्रांतर , सिवान और शहर सीमा रेखा के आरपार जगा रही मन में अभिसार कर रही अनुतप्त क्षणों का दुखदैन्य और मन की पीड़ा हमसे अलग किस किस ओर से आनन्दोत्सव मनाने आ रहा वसन्त धीमे पग ...
- शिवरात्रि परएक झलक जो तेरी पाएतेरा दीवाना हो जाये , गा-गा कर फिर महिमा तेरीमस्त हुआ सा दिल बहलाए !तू कैसी सरगोशी करताजो जैसा, तुझे वैसा देखे,पल-पल चमत्कार दिखलाताबुद्धि खा जाती है धोखे !अनुतप्त न होगा कभी तेरा मन, कर भोर भये भोले का सुमिरन|रख शिव चरणों में मनोरथ अपना, निश्चित मनोकामना होगी पूरन||सरल सहृदय मन कृपालु बड़े है, जय भोलेनाथ सन्निकट खड़े है| अनसुलझी रहे न कोई उलझन, कर भोर भये भोले का सुमिरन||मोहन मुनि हे आये हो, हो मेरे ललना सबको मनहर लीनों ।।