अप्रमादी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ‘ प्रमादी लोगों में अप्रमादी और सोए लोगों में बहुत जाग्रत पुरुष वैसे ही आगे निकल जाता है जैसे तेज घोड़ा मंद घोड़े से आगे निकल जाता है।
- ‘ जो उत्थानशील , स्मृतिवान , शुचि ‘ कर्म वाला तथा विचार कर काम करने वाला है , उस संयत , धर्मानुसार जीविका वाला एवं अप्रमादी पुरुष का यश बढ़ता है।
- १ ६ . शुभ कर्मो में अप्रमादी हो ! बुरे विचारों का दमन करें ! जो कोई शुभ कर्म को करने में ढील करता है , उसका मन पाप में रमण करने लगता है !
- और कुसुमपुर निवासी नन्द के मन्त्री और संबंधियों के ठीक ठाक वृत्तान्त का अन्वेषण हो रहा है , वैसे ही भद्रभटादिकों को बड़े-बड़े पद देकर चन्द्रगुप्त के पास रख दिया है और भक्ति की परीक्षा लेकर बहुत से अप्रमादी पुरुष भी शत्रु से रक्षा करने को नियत कर दिए हैं।
- और कुसुमपुर निवासी नन्द के मन्त्री और संबंधियों के ठीक ठाक वृत्तान्त का अन्वेषण हो रहा है , वैसे ही भद्रभटादिकों को बड़े-बड़े पद देकर चन्द्रगुप्त के पास रख दिया है और भक्ति की परीक्षा लेकर बहुत से अप्रमादी पुरुष भी शत्रु से रक्षा करने को नियत कर दिए हैं।
- इन्सान अपने माँ-बाप के औलाद , अवतार , स्वरुप या रूप है , या कोई जड़ , भौतिक , अभौतिक शक्ति ; ३ ) अनित्य = नित्य , अजर , अमर , शाश्वत , अप्रमादी , सदा के लिए कोई भी चीज नही , जो कभी बदलती नहीं है , सभी परिवर्तनशील है , बदल ही उनका गुणधर्म है ; ४ ) असर्वज्ञ = सभी प्रकार का ज्ञानी , महाज्ञानी कोई भी भगवान , ईश्वर , देव या व्यक्ति , अन्य प्राणी या वनस्पति भी नहीं है .
- इन्सान अपने माँ-बाप के औलाद , अवतार , स्वरुप या रूप है , या कोई जड़ , भौतिक , अभौतिक शक्ति ; ३ ) अनित्य = नित्य , अजर , अमर , शाश्वत , अप्रमादी , सदा के लिए कोई भी चीज नही , जो कभी बदलती नहीं है , सभी परिवर्तनशील है , बदल ही उनका गुणधर्म है ; ४ ) असर्वज्ञ = सभी प्रकार का ज्ञानी , महाज्ञानी कोई भी भगवान , ईश्वर , देव या व्यक्ति , अन्य प्राणी या वनस्पति भी नहीं है .