अम्बुधि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- हे ! हिन्दी के रुद्रावतार! भाषानिधि अम्बुधि महाकार कविता-नवीन के शिल्पकार जीवनी शक्ति जो दुर्निवार अर्पित तुमको यह पुष्पहार चन्दन है!
- है अमानिशा , उगलता गगन घन-अन्धकार; खो रहा दिशा का ज्ञान, स्तब्ध है पवन-चार; अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल; भूधर ज्यों ध्यान-मग्न; केवल जलती मशाल।
- दीपक अम्बुधि जो ग्वालियर पीपुल्स समाचार में सब एडिटर के रूप में कार्य कर रहे थे उन्होंने जबलपुर में पत्रिका का दामन थाम लिया हे . .
- है अमानिशा , उगलता गगन घन अन्धकार, खो रहा दिशा का ज्ञान, स्तब्ध है पवन-चार, अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल, भूधर ज्यों ध्यानमग्न, केवल जलती मशाल।
- रुदन किया होगा कितना अम्बुधि ने तुम्हें गँवाकर ! मणि-मुक्ता-विद्रुम-प्रवाल से विरचे हुए भवन की आभा उतर गई होगी, तुम से वियुक्त होते ही शून्य हो गया होगा सारा हृदय महासागर का.
- क्यों कि अम्बुधि ( सागर) 4 हैं, रस 6 हैं, और नग (पर्वत) 7 हैं, अतः इस क्रम से यति होगी और मगण, भगण, नगण, तगण, तगण और दो गुरु वर्ण होंगे ।
- है अमानिशा , उगलता गगन घन अन्धकार , खो रहा दिशा का ज्ञान , स्तब्ध है पवन-चार , अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल , भूधर ज्यों ध्यानमग्न , केवल जलती मशाल।
- कटि तक डूबा हुआ सलिल में किसी ध्यान मे रत-सा , अम्बुधि मे आकटक निमज्जित कनक-खचित पर्वत-सा . हँसती थीं रश्मियाँ रजत से भर कर वारि विमल को , हो उठती थीं स्वयं स्वर्ण छू कवच और कुंडल को .
- कटि तक डूबा हुआ सलिल में किसी ध्यान मे रत-सा , अम्बुधि मे आकटक निमज्जित कनक-खचित पर्वत-सा . हँसती थीं रश्मियाँ रजत से भर कर वारि विमल को , हो उठती थीं स्वयं स्वर्ण छू कवच और कुंडल को .
- अम्बुधि लहरों के शोर में असीम शान्ति की अनुभूति लिए , अपनी लालिमा के ज़ोर से अम्बर के साथ - लाल सागर को किए, विहगों के होड़ को घर लौट जाने का संदेसा दिए, दिनभर की भाग दौड़ को संध्या में थक जाने के लिए दूर क्षितिज के मोड़ पे सूरज को डूब जाते देखा!