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अरत का अर्थ

अरत अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. बुख़ारी शरीफ़ में हज़रत ख़ुबाब बिन अरत रदियल्लाहो अन्हो से रिवायत है कि हुज़ूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम काबे के साए में अपनी चादरे मुबारक से तकिया लगाए तशरीफ़ फ़रमा थे .
  2. ख़ब्बाब बिन अरत को धधकते हुए कोयलों पर लिटाकर निर्दयी ज़ालिम उनके सीने पर खड़ा हो गया , ताकि वे हिल-डुल न सकें, यहाँ तक कि उनकी खाल जल गई और चर्बी पिघलकर निकल पड़ी।
  3. ख़ब्बाब बिन अरत को धधकते हुए कोयलों पर लिटाकर निर्दयी ज़ालिम उनके सीने पर खड़ा हो गया , ताकि वे हिल-डुल न सकें, यहाँ तक कि उनकी खाल जल गई और चर्बी पिघलकर निकल पड़ी।
  4. ख़ब्बाब बिन अरत को धधकते हुए कोयलों पर लिटाकर निर्दयी ज़ालिम उनके सीने पर खड़ा हो गया , ताकि वे हिल-डुल न सकें , यहाँ तक कि उनकी खाल जल गई और चर्बी पिघलकर निकल पड़ी।
  5. यदि शान्ति चाहते हो तब किसी कार्य में मुखिया मत बनो , कोई कार्य उचित जचता हो तो उसे बतलाकर अरत बने रहो, इसमें कुछ कपट भी नहीं क्योंकि तुमने शान्ति के लिये नैष्ठिक श्रावक का व्रत लिया है।
  6. यदि शान्ति चाहते हो तब किसी कार्य में मुखिया मत बनो , कोई कार्य उचित जचता हो तो उसे बतलाकर अरत बने रहो , इसमें कुछ कपट भी नहीं क्योंकि तुमने शान्ति के लिये नैष्ठिक श्रावक का व्रत लिया है।
  7. तो क्या तुमने उसे देखा जो हमारी आयतों का इन्कारी हुआ और कहता है मुझे ज़रूर माल व औलाद मिलेंगे ( 21 ) { 77 } ( 21 ) बुख़ारी और मुस्लिम की हदीस में है कि हज़रत ख़बाब बिन अरत का जिहालत के ज़माने में आस बिन वाइल सहमी पर क़र्ज़ था .
  8. 15 . ख़बाब इबने अरत के बारे फ़रमाया , खुदा , हबाब इबने अरत पर रहमत अपनी शामिले हाल फ़रमाए , वह अपनी रज़ामन्दी से इस्लाम लाए और बखुशी हिजरत की औ ज़रूरत भर क़नाअत ( निस्पृता ) की और अल्लाह तआला के फ़ैसलों पर राज़ी रहे और मुजाहिदाना शान से ज़िन्दगी बसर की।
  9. 15 . ख़बाब इबने अरत के बारे फ़रमाया , खुदा , हबाब इबने अरत पर रहमत अपनी शामिले हाल फ़रमाए , वह अपनी रज़ामन्दी से इस्लाम लाए और बखुशी हिजरत की औ ज़रूरत भर क़नाअत ( निस्पृता ) की और अल्लाह तआला के फ़ैसलों पर राज़ी रहे और मुजाहिदाना शान से ज़िन्दगी बसर की।
  10. खब्बाब बिन अरत ( रज़ी अल्लाहु अन्हु) जब मुसलमान हो गये तो धरती पर आग के शोले बिछा कर उस पर उन को लिटा दिया गया और एक दृष्ट व्यक्ति उनके सीने पर पैर रखे रहा ताकि आप करवट न ले सके, यहाँ तक कि आग बुझ गया और बहुत वर्षों के बाद उमर (रज़ी अल्लाहु अन्हु) ने उनका पीठ देखा तो पूरे पीठ पर सफेद दाग़ ( धब्बे) थे।
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