अवनद्ध वाद्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अतः ऐसी आकृति वाले अवनद्ध वाद्य गोपुच्छाकृति हैं . भरतनाट्यशास्त्र में त्रिपुष्कर के आलिंग्य भाग को गोपुच्छाकृति बताया गयाहै.
- ये प्रायः द्विमुखी अवनद्ध वाद्य होते हैं , जिनके ढाँचे दोनोंमुखों पर अपेक्षाकृत बड़े व चौड़े और मध्य में पतले होते हैं.
- दो परस्पर विपरीत दिशाओं पर बने दोनों चर्मनद्ध `मुख ' व्यवह्रत होनेवाले` द्विमुखी अवनद्ध वाद्य जैसे डमरू, मृदंग, पखावज, खोल, नाल, हुड़ुक (हुडुक्का) इत्यादि.
- दो परस्पर विपरीत छोरों पर खुले ढाँचे वाले , किंतु उनमें से एक ही `मुख 'पर चर्म से मढ़े गए` एकमुखी' अवनद्ध वाद्य, जैसे खंजरी, चंग, ढफ (दफ) इत्यादि.
- इन वाद्यों में रज्जु तथा छल्ले व गट्टे इत्यादि न होने से , येअपरिवर्तनीय-~ प्राय ध्वनि वाले अवनद्ध वाद्य हैं, जिन्हें इच्छानुसारकिसी विशिष्ट स्वर में नहीं मिलाया जा सकता.
- एक छोर पर बने एक `मुख ' तथा शेष ओर से पूर्णतः बंद ढाँचे वाले` एकमुखी' अवनद्ध वाद्य, जैसे झील, ताशा, दुंदुभि, धौंसा, नक्कारा (नगाड़ा), दुक्कड़, धामा व तबला इत्यादि.
- आकृतिसभी अवनद्ध वाद्य भीतर से पोले , चर्म से मढ़े वृताकार मुख वाले और स्थूलदृष्टि से आकार में सामान्यतः गोल होने पर भी उनकी विशिष्ट आकृतियाँभिन्न-~ भिन्न प्रकार की होती हैं.
- येसभी ढाँचे भीतर से पोले या खोखले होते हैं , जिनमें से, कुछ में एक ओर, कुछ में दो ओर खुले वृत्ताकार विवर होते हैं जिन्हें अवनद्ध वाद्य का `मुख 'कहा जाता है.
- छोटेनगाड़े , धामा, दुक्कड़ तथा तबला इत्यादि अवनद्ध वाद्य जोड़ी के रूप मेंदो `मुखों 'पर बजाए जाने वाले वाद्य होने पर भी, प्रत्येक नग स्वयं में` एकमुखी' होने के कारण संरचना की दृष्टि से ये वाद्य `एकमुखी 'ही हैं.
- अतएव अनुमान है कि मोटेतौर पर दोनों ही , हरीतकी की आकृतिवाले द्विपार्श्वमुखी अवनद्ध वाद्य हैं, जैसे भरतनाट्यशास्त्र में वर्णित त्रिपुष्कर का आंकिक भाग अथवा वर्तमानकाल में महाराष्ट्र का लोकवाद्य नाल, उत्तर भारतीय डोलक, तथा कर्नाटकसंगीत में बजने वाली मृदंगम् इत्यादि.