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अशंक का अर्थ

अशंक अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. देखा हैं महाशक्ति रावण को लिये अंक , लांछन को ले जैसे शशांक नभ में अशंक, हत मन्त्रपूत शर सम्वृत करतीं बार-बार, निष्फल होते लक्ष्य पर क्षिप्र वार पर वार।
  2. देखा है महाशक्ति रावण को लिये अंक , लांछन को ले जैसे शशांक नभ में अशंक, हत मन्त्रपूत शर सम्वृत करतीं बार बार, निष्फल होते लक्ष्य पर क्षिप्र वार पर वार।
  3. ‘ कंटक ' ‘ सनेही ' , ‘ अवधेश ' , ‘ अशंक ' , ‘ निराला ' , ‘ समीर ' , ‘ अनुरागी ' जैसे उपनाम छायावादोत्तर काल की नवगीति काव्यधारा में दिखाई दिए।
  4. शस्त्र-शास्त्र-निष्णात , अंग से बली, विभासित मन से जब अपना यह आयु पूर्ण कैशोर प्राप्त कर लेगा, पहुंचा दूँगी स्वयं इसे ले जाकर राज-भवन में. तब तक जा, पीयूष पान कर तू मृण्मयी मही का, चिंता-रहित, अशंक, आयु को कोई त्रास नहीं है.
  5. शत शुद्धिबोध , सूक्ष्मातिसूक्ष्म मन का विवेक, जिनमें है क्षात्रधर्म का धृत पूर्णाभिषेक, जो हुए प्रजापतियों से संयम से रक्षित, वे शर हो गये आज रण में श्रीहत, खण्डित! देखा है महाशक्ति रावण को लिये अंक, लांछन को ले जैसे शशांक नभ में अशंक, हत
  6. शस्त्र-शास्त्र-निष्णात , अंग से बली , विभासित मन से जब अपना यह आयु पूर्ण कैशोर प्राप्त कर लेगा , पहुंचा दूँगी स्वयं इसे ले जाकर राज-भवन में . तब तक जा , पीयूष पान कर तू मृण्मयी मही का , चिंता-रहित , अशंक , आयु को कोई त्रास नहीं है .
  7. शस्त्र-शास्त्र-निष्णात , अंग से बली , विभासित मन से जब अपना यह आयु पूर्ण कैशोर प्राप्त कर लेगा , पहुंचा दूँगी स्वयं इसे ले जाकर राज-भवन में . तब तक जा , पीयूष पान कर तू मृण्मयी मही का , चिंता-रहित , अशंक , आयु को कोई त्रास नहीं है .
  8. ' धर्मराज वह भूमि किसी की , नहीं क्रीत है वासी है जन्मना समान परस्पर , इसके सभी निवासी है सबके अधिकार मृतिका पोषक रस पीने का विविध अभावों से अशंक होकर जग में जीने का सबको मुक्त प्रकाश चाहिए , सबको मुक्त समीरण पाधा रहित विकास मुक्त , आशंकाओं से जीवन।
  9. पांच दशक से भी कम आयु के निशंक कवि ने राजनीति के तुमुल रव में , सार्वजनिक कर्तव्यों का सफल निर्वाह करते हुये भी मां भारती की जो सेवा की है , वह उसके राजनैतिक अवदान से कहीं बडा है , तभी तो देश के तीन-तीन महामहिमों ने निशंक को अशंक होकर महिमामण्डित किया है।
  10. ऐसे में अन्याय और अधर्म के साक्षात प्रतीक रावण को कैसे पराजित किया जाए- “ लांछन को ले जैसे शशांक नभ में अशंक , रावण अधर्मरत भी अपना , मैं हुआ अपर यह रहा शक्ति का खेल समर , शंकर , शंकर ! ” मित्रों , राम के नेत्रों से इस समय चुपचाप अश्रुधारा बह रही थी।
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