अहमिति का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- हरि की भक्ति न कबहूँ कीन्हीं , उदर भरे परि सोइसि॥ निसि-दिन फिरत रहत मुँह बाए, अहमिति जनम बिगोइसि।
- ज्ञानकर्म ' रु ' * उपासना , सब अहमिति को मूल- यहाँ छंदानुरोध पर अरु से ' रु ' किया गया है।
- जाग न जाने कब वह आकर खटका देगा पट मधुकर सतत सजगता से ही निर्जल होता अहमिति का निर्झर मूढ़ विस्मरण में निद्रा में मिलन यामिनी दे न बिता टेर रहा विस्मरणविनाशा मुरली तेरा मुरलीधर।।
- आत्मा शिव शव देंह तुम्हारा जीवन ही मरघट मधुकर नर शरीर की पकड़ कुल्हाड़ी काट अपर काया निर्झर हो निमित्त अहमिति तज बन जा कृष्ण कराम्बुज की मुरली टेर रहा है कृपावर्षिणी मुरली तेरा मुरलीधर।।132।।
- रसखान के निम्नलिखित दोहे से निष्कर्ष निकलता है कि उनके अनुसार भव-संतरन के चार उपाय हैं- कर्म , ज्ञान , उपासना और प्रेमलक्षणा भक्ति - poem > ज्ञान कर्म रु उपासना , सब अहमिति को मूल।
- शक्ति तो भगवान् की थी , पर नारदजीमें अभिमान आ गया कि मैंने अपनी शक्तिसे कामको जीत लिया - ‘ जिता काम अहमिति मन माहीं ' ( मानस , बाल ॰ १ २ ७ / ३ ) ।
- मुरली तेरा मुरलीधर 7 जाग न जाने कब वह आकर खटका देगा पट मधुकर सतत सजगता से ही निर्जल होता अहमिति का निर्झर मूढ़ विस्मरण में निद्रा में मिलन यामिनी दे न बिता टेर रहा विस्मरणविनाशा मुरली तेरा मुरलीधर।।