आंतरिक ग्रह का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जबकि आंतरिक ग्रह कभी पूर्व में उदित तथा पश्चिम में अस्त तो कभी पूर्व में अस्त तथा पश्चिम में उदित हुआ करते हैं।
- आंतरिक ग्रह ( बुध या शुक्र) सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी से देखने पर सूर्य की डिस्क (परत) पर काले धब्बे के समान नजर आएंगे।
- सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध , शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं।
- सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध , शुक्र , पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है , मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं।
- सौर मंडल के सनदी क्षेत्रों मे सूर्य , चार पार्थिव (स्थलीय) आंतरिक ग्रह, क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं।
- जब आंतरिक ग्रह वक्री होकर पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुये दृष्टिगत होते हैं , तब वे राशि चक्र में सूर्य से आगे पूर्व की ओर स्थित होते हैं।
- अस्त होने के कुछ दिनों बाद मार्गी आंतरिक ग्रह अपनी तीव्र गति से सूर्य से आगे पूर्व की ओर निकलकर सूर्य की प्रभा सीमा के बाहर पुनः दैदीप्यमान हो उठते हैं।
- सौर मंडल के सनदी क्षेत्रों मे सूर्य , चार पार्थिव (स्थलीय) आंतरिक ग्रह, क्षुद्रग्रह घेरा , चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं।
- लेकिन जब हम पृथ्वी से इन ग्रहों की दूरियों को देखते हैं तो जिन ग्रहों की कक्षा सूर्य और पृथ्वी के मध्य में रहती है उन्हें अंतः या आंतरिक ग्रह कहा जाता है।
- इस प्रकार स्पष्ट है कि मार्गी आंतरिक ग्रह ( बुध , शुक्र ) पूर्व में अस्त और पश्चिम में उदित तथा वक्री आंतरिक ग्रह पश्चिम में अस्त तथा पूर्व में उदित हुआ करते हैं।