आचार्य कुन्तक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- काव्यशास्त्र - १५ आचार्य परशुराम राय आचार्य कुन्तक आचार्य कुन्तक आचार्य राजशेखर के परवर्ती और आर्चा महिमभट्ट के पूर्ववर्ती है ।
- आचार्य राजशेखर || , || 15. आचार्य कुन्तक और आचार्य महिमभट्ट ||, ||16. आचार्य क्षेमेन्द्र और आचार्य भोजराज ||, ||17. आचार्य मम्मट ||
- आचार्य कुन्तक ने अपने वक्रोक्ति सिद्धान्त में शब्द प्रयोग और वाक्य रचना की रमणीयता के अतिरिक्त प्रकरण या प्रसंग की सटीकता का भी उल्लेख किया है।
- आचार्य कुन्तक ने अपने वक्रोक्ति सिद्धान्त में शब्द प्रयोग और वाक्य रचना की रमणीयता के अतिरिक्त प्रकरण या प्रसंग की सटीकता का भी उल्लेख किया है।
- इस श्लोक का अर्थ आचार्य मम्मट ने वक्रोक्तिजीवितकार आचार्य कुन्तक के अनुसार किया है- कवियों की जिन कान्तियों के मध्य में सुकुमार , विचित्र और मध्यम मार्गों(वक्रोक्ति के तीन साधन) से त्रिपथगा सरस्वती चमत्कार प्रवाहित करती हैं।
- इस श्लोक का अर्थ आचार्य मम्मट ने वक्रोक्तिजीवितकार आचार्य कुन्तक के अनुसार किया है- कवियों की जिन कान्तियों के मध्य में सुकुमार , विचित्र और मध्यम मार्गों ( वक्रोक्ति के तीन साधन ) से त्रिपथगा सरस्वती चमत्कार प्रवाहित करती हैं।
- मैं तो आचार्य का निर्देश केवल इस दृष्टि से कर रहा हूँ कि चूँकि लघुकथा आकार में छोटी होती है , अत: उसे अत्यन्त चुस्त-दुरुस्त रहने की आवश्यकता होती है-रचना विधान में पग-पग पर चुस्त-दुरुस्त और आचार्य कुन्तक अपने सिद्धांत में हमें यही बताते हैं।
- मैं तो आचार्य का निर्देश केवल इस दृष्टि से कर रहा हूँ कि चूँकि लघुकथा आकार में छोटी होती है , अत: उसे अत्यन्त चुस्त-दुरुस्त रहने की आवश्यकता होती है-रचना विधान में पग-पग पर चुस्त-दुरुस्त और आचार्य कुन्तक अपने सिद्धांत में हमें यही बताते हैं।
- आचार्य भट्टोद्भट || , || 8. आचार्य वामन ||, || 9. आचार्य रुद्रट और आचार्य रुद्रभट्ट ||, || 10. आचार्य आनन्दवर्धन ||, || 11. आचार्य भट्टनायक ||, || 12. आचार्य मुकुलभट्ट और आचार्य धनञ्जय ||, || 13. आचार्य अभिनव गुप्त ||, || 14. आचार्य राजशेखर ||, || 15. आचार्य कुन्तक और आचार्य महिमभट्ट ||, ||16. आचार्य क्षेमेन्द्र और आचार्य भोजराज ||, ||17. आचार्य मम्मट ||, ||18. आचार्य सागरनन्दी एवं आचार्य (राजानक) रुय्यक (रुचक) ||