आचार्य रुद्रट का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- 3 . आचार्य रुद्रट काव्यत्व अलंकारों में मानते हैं, जबकि आचार्य रुद्रभट्ट काव्य का प्रधान तत्व रस मानते हैं।
- 3 . आचार्य रुद्रट काव्यत्व अलंकारों में मानते हैं, जबकि आचार्य रुद्रभट्ट काव्य का प्रधान तत्व रस मानते हैं।
- आचार्य रुद्रट के ग्रंथ का नाम काव्यालंकार है , जबकि आचार्य रुद्रभट्ट के ग्रंथ का नाम ‘ शृंगारतिलक ' है।
- आचार्य रुद्रट के ग्रंथ ‘ काव्यालंकार ' के तीन टीकाकारों का उल्लेख मिलता है- आचार्य वल्लभदेव, आचार्य नमिसाधु और आचार्य आशाधर।
- || , || 6. काल-विभाजन ||, ||7.आचार्य भट्टोद्भट ||, || 8. आचार्य वामन ||, || 9. आचार्य रुद्रट और आचार्य रुद्रभट्ट ||
- || , || 6. काल-विभाजन ||, ||7.आचार्य भट्टोद्भट ||, || 8. आचार्य वामन ||, || 9. आचार्य रुद्रट और आचार्य रुद्रभट्ट ||, || 10.
- नायक-नायिका भेद करते समय आचार्य रुद्रट ने वेश्यानायिका का वर्णन मात्र दो श्लोकों में किया है , किन्तु रुद्रभट्ट ने इसका विस्तार से वर्णन किया है।
- दण्डी || , || 6. काल-विभाजन ||, ||7.आचार्य भट्टोद्भट ||, || 8. आचार्य वामन ||, || 9. आचार्य रुद्रट और आचार्य रुद्रभट्ट ||, || 10. आचार्य आनन्दवर्धन ||
- नवीं शती ( लगभग) में आचार्य रुद्रट ने तो तत्कालीन प्रचलित साहित्य के आधार पर यहाँ तक कह दिया था कि केवल संस्कृत में निबद्ध कथाओं के लिए गद्य में लिखने का बंधन है;
- नवीं शती ( लगभग) में आचार्य रुद्रट ने तो तत्कालीन प्रचलित साहित्य के आधार पर यहाँ तक कह दिया था कि केवल संस्कृत में निबद्ध कथाओं के लिए गद्य में लिखने का बंधन है;