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आतंकित होना का अर्थ

आतंकित होना अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. अव्वल तो यह कि आखिरकार जो नक्सली भारत के शक्तिशाली अर्धसैनिक बलों , राज्य के लुलिस बलों से नहीं डरते उन्हें इन भोले-भाले आदिवासियों से कैसे इतना आतंकित होना पड़ गया? जबाब भी इन्हीं सवालों में निहित है.
  2. तय है कि इस बीच में भले ही उसकी देह जिन्दा रही हो किंतु उसका आतंक तो मर ही चुका था क्योंकि जब देश या लोग आतंकित होना बन्द कर दें तो आतंक का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता।
  3. अव्वल तो यह कि आखिरकार जो नक्सली भारत के शक्तिशाली अर्धसैनिक बलों , राज्य के लुलिस बलों से नहीं डरते उन्हें इन भोले-भाले आदिवासियों से कैसे इतना आतंकित होना पड़ गया ? जबाब भी इन्हीं सवालों में निहित है .
  4. मुझे कदाचित् आतंकित होना चाहिए कि अब तक की चर्चा में मैंने कितनी विधाओं , कितने शास्त्रों के क्षेत्र में हाथ डाला है जिनमें किसी की भी विधिवत् दीक्षा मुझे नहीं मिली है , किसी का कोई ज्ञान मुझे नहीं है।
  5. किसी भी चीज से आतंकित होना उस चीज से आहत होने से बड़ा है सबको पता है मृत्यु एक दिन आनी है लेकिन हम इस बात को लेकर बैठ जाये तो जीवन जी ही नहीं पाएंगे जिस तरह हमने मृत्यु के आतंक को जीवन से अलग कर दिया उसी तरह आतंकवाद के आतंक को भी अलग कर दे तो आधी जीत तो हम यही जीत गए बहुत उतम विचार आपने लिखे !
  6. जिस प्रकार से एक लोमहर्षक घटना घटित हुई है , छप्पर पर आग लगी है और उसके अन्दर एक नवयुवति 95 प्रतिषत तक जली अवस्था में मिली है, इन परिस्थितियों में मौके पर पहुंचे लोगों का सहम जाना, आतंकित होना और डर जाना स्वाभाविक है और यदि पी0ड0-2 ने यह यह कहा है कि किसी ने ध्यान नहीं दिया कि बाहर वाला दरवाजा अन्दर से बन्द नहीं था तो यह एक प्राकृतिक आचरण है।
  7. यदि प्रथम सूचना रिपोर्ट में और जॉच अधिकारी को पी0ड0 . -2 ने यह बात नहीं भी बताई है कि उसने झिरी से भी मुलजिमान को देख था तो उसके आधार पर कोई विपरीत निष्कर्ष गवाह के विरूद्व निकालना अथवा उसके कथन की सत्यता पर सन्देह करना न्यायोचित नहीं होगा क्योंकि जिस प्रकार का लोमहर्षक हत्याकांड यह हुआ है उसके सन्दर्भ में किसी भी व्यक्ति का होषाहवास खो देना, सहम जाना, आतंकित होना सम्भव है, जो मृतकों का निकट संबंधी भी हो।
  8. लेकिन यदि कोई अपने इस सहज विवेक का दामन छोडकर इसलिए दुखी होगा कि उसकी सोच तीन क्विंटल वजन उठाकर चलने वाले की सोच से मेल क् यों नहीं खाती तो जाहिरा तौर पर या तो समय जी को यह पोस् ट लिखनी पडेगी या फिर उसे यह तय करना होगा कि बडे बडे सिद्धांतों से आतंकित होना ज् यादा उत् तेजक है या यह जान लेना कि हम क् या चाहते हैं और क् या कर सकते हैं यह भांप लेना अधिक सार्थक है ।
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