इंडो-आर्यन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- टर्नर अपने ‘अ कम्पैरिटिव डिक्शनरी ऑफ़ इंडो-आर्यन लैग्वेजेज़ ' नामक कोश में भरोसा की व्युत्पत्ति संस्कृत के ‘भारवश्य'
- रॉल्फ़ लिली टर्नर की कम्पैरिटिव डिक्शनरी ऑफ़ इंडो-आर्यन लैंग्वेजेज़ में चकला की व्युत्पत्ति संस्कृत के चक्रल से मानी है ।
- टर्नर अपने ‘ अ कम्पैरिटिव डिक्शनरी ऑफ़ इंडो-आर्यन लैग्वेजेज़ ' नामक कोश में भरोसा की व्युत्पत्ति संस्कृत के ‘ भारवश्य ' bharavashya से बताते हैं ।
- तमाम कोश चर्चा के अनेक अर्थ बताते हैं मगर रॉल्फ़ लिली टर्नर कम्पैरिटिव डिक्शनरी ऑफ़ इंडो-आर्यन लैंग्वेजेज़ में चर्चा प्रविष्टि के आगे सिर्फ़ रिपीटीशन यानी दोहराव लिखते हैं ।
- उड़ीसा , भारत में अधिकतर मंदिर अपनी इंडो-आर्यन नागर वास्तुशिल्पीय शैली के लिए जाने जाते हैं जो कि स्पष्ट रूप से भारत, उड़ीसा की मंदिर वास्तुकला का विशेष गुण है।
- सर रॉल्फ़ लिली टर्नर के कम्पैरिटिव डिक्शनरी ऑफ़ इंडो-आर्यन लैंग्वेजेज़ के अनुसार संस्कृत के देही में ढूह , क़िला , परिधि , चाहरदीवारी , परकोटा की अर्थवत्ता का समावेश हैं ।
- ( ii) ए कम्पेरेटिव डिक्शनरी ऑफ द इंडो-आर्यन लैंग्वेजिज, लंदन (1969) भारतीय आर्यभाषाओं के ऐतिहासिक अध्ययन तथा भारतीय आर्य भाषाओं के पुनर्निमाण के अध्ययन की दृष्टि से इस ग्रन्थ का अप्रतिम महत्व है।
- लगता है , रोजमर्रा काम-काज को हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में, गंभीर अकादमिक विषय-वस्तु, अंगरेजी और हिन्दी (उर्दू शामिल) में कभी संस्कृत में भी और किसी विद्वान का सहारा हो तो इंडो-आर्यन और इंडो-यूरोपियन तक।
- भारत में वह पहला व्यक्ति है , जिसने बताया कि तमिल तेलुगु , कन्नड़ , मलयालम और तुलू एक अलग भाषा परिवार है , जो ‘ इंडो-आर्यन ' भाषाओं से एकदम भिन्न है।
- कृ . पा . कुलकर्णी के ‘ मराठी व्युत्पत्ति कोश ' , रॉल्फ़ लिली टर्नर की ' ए कम्पैरिटिव डिक्शनरी ऑफ़ इंडो-आर्यन लैंग्वेजेज़ ' के मुताबिक चकला शहर का केन्द्रीय स्थान भी है ।