इन्द्रकील का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सन् 1950 में प्रकाशित इन्द्रकील पुष्पाञ्जलि सिक्किम के अपतनों का प्रथम कविता संग्रह है और इसमें तुलसी अपतन की कविताएँ ज्यादा संख्या में हैं।
- अर्जुन अपनी यात्रा पर निकल गये ! अवसर का उपयोग कर रहे थे - इन्द्रकील पर्वत पर तप में रत थे -दिव्यास्त्रों की प्राप्ति हेतु .
- महाभारत काल में अर्जुन ने भी यही इन्द्रकील पर्वत की गोद में तपस्या की थी , जिस पर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे पाशुपत अस्त्र दिया था।
- अपतन साहित्य परिषद् द्वारा प्रकाशित इन्द्रकील पुष्पाञ्जलि के सम्पादकों में शिवनाथ मिश्र और तुलसी बहादुर क्षेत्री ( तुलसी अपतन ) , सभापति हरिप्रसाद प्रधान , उपसभापति काशीराज प्रधान और मन्त्री पदमसिंह सुब्बा थे तथा मुद्रक थे नगेन्द्रमणि प्रधान , मणि प्रिन्टिंग प्रेस , दार्जिलिङ।
- अन्य कथा अनुसार महाभारत के समय कैलाश का नाम इन्द्रकील पर्वत था इसी स्थान पर भगवान शंकर ने अर्जुन की परीक्षा ली और अर्जुन को युद्ध के लिए ललकार परंतु भगावान की लीला का आभास होते ही अर्जुन ने उनसे क्षमा मांगी तथा उनका आहवान किया इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अर्जुन को पाशुपात भेंट किया .
- बीच-बीच में कुछ वार्तालाप हो जाता था . ' कितना गहन वन . ' पांचाली बोल उठी , ' यहाँ तो वन्य-जीव रहते होंगे ? ” अर्जुन आगे बढ़ आये , ' हाँ छोटे-बड़े सब . यहीं तो वन-शूकर के कारण भगवान पशुपति से झड़प हुई थी मेरी , और फिर पाशुपत अस्त्र की प्राप्ति . ' ' अच्छा ! ' पार्थ के चले हुये रास्ते हैं ये , इधर ही तपस्या करने इन्द्रकील पर्वत पर आये थे .