इष्टि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आर्यावर्त की यही प्रामाणिक सीमा थी और इसके बाहर के देश म्लेच्छ देश माने जाते थे , जहां तीर्थयात्रा के अतिरिक्त जाने पर इष्टि या संस्कार करना आवश्यक होता था।
- आर्यावर्त की यही प्रामाणिक सीमा थी और इसके बाहर के देश म्लेच्छ देश माने जाते थे , जहां तीर्थयात्रा के अतिरिक्त जाने पर इष्टि या संस्कार करना आवश्यक होता था।
- यहाँ स्थूलदृष्टया यह जानना है कि प्रत्येक छोटे ( इष्टि ) और बड़े ( सोम , अग्निचयन ) यज्ञों में मुख्य चार ऋत्विक्- होता , अध्वर्यु , उद्गाता और ब्रह्मा होते हैं।
- डा . रामकुमार वर्मा ने उत्तम, मध्यम, अधम के प्रभाव की इष्टि से हास्य के तीन भेद माने हैं और इन्हें आत्मस्थ, परस्थ से गुणित करके हसन क्रिया के बारह भेद लिखे हैं।
- यदि दुभिक्ष हो , वर्षा न हो रही हो तो उसके लिए ' कारीरी इष्टि ' अधिमास में भी करना मना नहीं है , क्योंकि ऐसा न करने से हानि हो जाने की सम्भावना रहती है।
- गर्दन , उपसद ( तीन इष्टियां ) दोनों दाढ़ें प्रायणीय ( दीक्षा के बाद की इष्च्च्िट ) और उदयनीय ( यज्ञ समाप्त की इष्टि ) जिह्वा ( जीभ ) , महावीर नाम का कर्म , सिर सम्य ( होमरहित अग्नि ) है।
- और सायंकाल होम करनेवाला ऋत्विज एक ही होता है , परंतु दर्श (अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपद को होनेवाली) इष्टि में तथा पौर्णमास (पूर्णिमा के दूसरे दिन प्रतिपदवाली) इष्टि में चार ऋत्विज् होते हैं जिनके नाम हैं - अध्वर्यु, होता, ब्रह्मा और आग्नीध्र।
- और सायंकाल होम करनेवाला ऋत्विज एक ही होता है , परंतु दर्श (अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपद को होनेवाली) इष्टि में तथा पौर्णमास (पूर्णिमा के दूसरे दिन प्रतिपदवाली) इष्टि में चार ऋत्विज् होते हैं जिनके नाम हैं - अध्वर्यु, होता, ब्रह्मा और आग्नीध्र।
- ' विभिन्न प्रदेशों व ग्रामों में घूम-फिरकर , उन्होंने पाणिनि , कात्यायन के पश्चात् संस्कृत भाषा के शब्द-प्रयोगों में जो परिवर्तन रूढ़ हुए उनका अध्ययन किया , और उनका निरूपण करने के लिए ' इष्टि ' के नाम से कुछ नये नियम बनाए।
- ' विभिन्न प्रदेशों व ग्रामों में घूम-फिरकर , उन्होंने पाणिनि , कात्यायन के पश्चात् संस्कृत भाषा के शब्द-प्रयोगों में जो परिवर्तन रूढ़ हुए उनका अध्ययन किया , और उनका निरूपण करने के लिए ' इष्टि ' के नाम से कुछ नये नियम बनाए।