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उढ़ का अर्थ

उढ़ अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. मैं अहंकार वाला ' मैं' नहीं मैं, मेरा मतलब मैं अपने आप को ढोता हुआथका हुआ डरा हुआ जब से जिम्मेवारियों ओढ़ी या उढ़ गयी खुद को भूल गया उनको पूरा करने के संस्कार जो पाए थेपूरा करता रहा उम्र की इस दहलीज़ पर आकर थक गया क्यूँ कीइस पड़ाव पर आकर मैं घर को
  2. श्री तिवारी जी ऐसा कुछ नहीं है जैसा आपने सोचा है बात यह हुई की जब मै शब्द “ छय ” को एडिट कर रहा था तो सारी की सारी पोस्ट उढ़ गई बहुत मुस्किल से रीपोस्ट कर सका इस कारण से शायद आपका कमेन्ट भी डिलीट हो गया होगा - कमेन्ट के लिए आपका धन्यवा द .
  3. निहारता रहा तुम्हारा अप्रतिम सौंदर्य अपलक . ...... पर ये कौन है ??? जो चीर रहा है मेरे सीने को रौंद रहा है हरित सौंदर्य को बो रहा कंक्रीट के उपवन घोट रहा कोयल की कूक उढ़ रहा आकाश में रोक रहा सूर्य चन्द्र रश्मि को खेल रहा विनाशक गोलों से रच रहाषडयंत्र तुम्हारे मेरे अंतहीन विछोह का .....
  4. क्योंकि तुम्हारी निकटता ने बना दिया है मुझे कोमल बहुत कोमल है ह्रदय मेरा और पीत पात से मेरे हाथ इसलिए महा विनाश के उस आर्तनाद में नारंगी सूरज के घटाटोप अंधकार में डूबकर मेरे तुमसे . ... सदा बिछुढ़ जाने से पहले मेरी प्रियतम !!! उबार लेना मुझे नहीं तो में नन्हा तिनका बनके उढ़ जाऊंगा और फिर ...
  5. पैरों की बेड़ियाँ ख्वाबों को बांधे नहीं रे , कभी नहीं रे मिटटी की परतों को नन्हे से अंकुर भी चीरे, धीरे धीरे इरादे हरे हरे, जिनके सीनों में घर करे वो दिल की सुने करे ना डरे, ना डरे सुबह की किरणों को रोकें जो सलाखें है कहाँ जो ख्यालों पे पहरे डाले वो आँखें है कहाँ पर खुलने की देरी है परिंदे उढ़ के झूमेंगे आसमान आसमान आसमान आजादीयाँ, आजादीयाँ आगे न कभी , मिले मिले मिले आजादीयाँ आजादीयाँ जो छीने वही, जी ले जी ले जी ले
  6. दिल्ली में चाय के व्यवसाय से जुडी सुनीता जी लिखती है और खूब लिखती है प्यारा लिखती है और जज्बात को झकझोर देती है इन्होने अपनी ब्लोगिंग में तेताला . .... .. कुछ विशेष .. नारी . . बाल उद्ध्यान .. . माँ ... मन पखेरू फिर उढ़ चला .. स्वाद .. हम होंगे कामयाब ... केसरिया . . है माँ शक्ति .. में तेरी शरण में ..... दल रोटी चांवल . ... कुछ विशेष ...... के जरिये अपनी रचनाओं अपने विचारों को हम और आप तक पहुंचाया है ..
  7. पत्रकारिता और लेखक के पुरे गुण सम्पन्न बहन सुनीता कहती है के चाय के साथ कुछ कविताये भी हो जाए तो क्या कहने . ...दिल्ली में चाय के व्यवसाय से जुडी सुनीता जी लिखती है और खूब लिखती है प्यारा लिखती है और जज्बात को झकझोर देती है इन्होने अपनी ब्लोगिंग में तेताला .......कुछ विशेष ..नारी..बाल उद्ध्यान ...माँ ...मन पखेरू फिर उढ़ चला ..स्वाद..हम होंगे कामयाब ...केसरिया ..है माँ शक्ति ..में तेरी शरण में .....दल रोटी चांवल ....कुछ विशेष ...... के जरिये अपनी रचनाओं अपने विचारों को हम और आप तक पहुंचाया है ..
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