उत्साहयुक्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- न उकताएँ , न अधीर हों श्री भगवान् आगे तेईसवें श्लोक में कहते हैं कि ऐसी अवस्था ( जिसमें भारी- से दुःख से भी हम विचलित नहीं होते ) ही सच्चा योग है और यह योग उसी के द्वारा सध पाता है , जो उकताता नहीं , अधीर नहीं होता तथा सदैव विधेयात्मक चिंतन के साथ , उत्साहयुक्त चित्त के साथ , मनोयोगपूर्वक अपने कार्य में लगा रहता है।
- न उकताएँ , न अधीर हों श्री भगवान् आगे तेईसवें श्लोक में कहते हैं कि ऐसी अवस्था ( जिसमें भारी- से दुःख से भी हम विचलित नहीं होते ) ही सच्चा योग है और यह योग उसी के द्वारा सध पाता है , जो उकताता नहीं , अधीर नहीं होता तथा सदैव विधेयात्मक चिंतन के साथ , उत्साहयुक्त चित्त के साथ , मनोयोगपूर्वक अपने कार्य में लगा रहता है।