उपचारिका का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आजकल नारी की ऐतिहासिक कर्म भूमिकाएँ ( गृहिणी , धात्री , जननी , उपचारिका , सेविका , दासी आदि ) जो शय्या और रसोई की धुरी में केन्द्रित थी , अब बदल रही है।
- आजकल नारी की ऐतिहासिक कर्म भूमिकाएँ ( गृहिणी , धात्री , जननी , उपचारिका , सेविका , दासी आदि ) जो शय्या और रसोई की धुरी में केन्द्रित थी , अब बदल रही है।
- उग्र रोग की अवस्था में उपचारक या उपचारिका की जितनी आवश्यकता है , रोगमुक्ति के पश्चात् उस व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा तथा जीवन को उपयोगी बनाने में समाजसेवी की भी उतनी ही आश्यकता है।
- उग्र रोग की अवस्था में उपचारक या उपचारिका की जितनी आवश्यकता है , रोगमुक्ति के पश्चात् उस व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा तथा जीवन को उपयोगी बनाने में समाजसेवी की भी उतनी ही आश्यकता है।
- रोगी की देखभाल करने में केवल रोग पर दृष्टि रखना ही पर्याप्त नहीं है , वरन् रोगी को ऐसा व्यक्ति समझना चाहिए जो उपचारिका से यह अपेक्षा करता है कि वह उसे सुरक्षा दे, उसे समझे तथा उसपर ममता रखे।
- रोगी की देखभाल करने में केवल रोग पर दृष्टि रखना ही पर्याप्त नहीं है , वरन् रोगी को ऐसा व्यक्ति समझना चाहिए जो उपचारिका से यह अपेक्षा करता है कि वह उसे सुरक्षा दे, उसे समझे तथा उसपर ममता रखे।
- इंडियन नर्सिंग कौंसिल ऐक्ट , १९४७ - प्रत्येक प्रदेश में नर्सिंग, या उपचारिका कौंसिल बन चुकी है, जो उपचारिकाओं (Nurses), स्वास्थ्यचरों (Health visitors) और धात्रियों (Mdwives) का रजिस्टर बनाकर रखती है और उनमें योग्यताप्राप्त परीक्षोत्तीर्ण व्यक्तियों के नाम दाखिल खारिज किया करती है।
- अपने रोगी के प्रति उपचारिका के दायित्व की आधुनिक भावना में केवल शारीरिक सुख देने , चिकित्सा करने तथा औषधोपचार के अतिरिक्त इसकी भी अपेक्षा रहती है कि उसे रोग का तथा वह रोग किसी रोगी को किस प्रकार प्रभावित करता है, इसका भी स्पष्ट ज्ञान हो।
- अपने रोगी के प्रति उपचारिका के दायित्व की आधुनिक भावना में केवल शारीरिक सुख देने , चिकित्सा करने तथा औषधोपचार के अतिरिक्त इसकी भी अपेक्षा रहती है कि उसे रोग का तथा वह रोग किसी रोगी को किस प्रकार प्रभावित करता है, इसका भी स्पष्ट ज्ञान हो।
- जिन कर्मचारियों पर ये आदेश लागू नहीं होते उनकेमामले में और चतुर्थ श्रेणी के तकनीकी और विशेषज्ञता प्राप्त कर्मचारी , जैसे किपुस्तकालय या प्रयोगशाला परिचर, कम्पाउन्डर, पुरुष या महिला उपचारिका, उपचर्या, अर्दली, वाहक आदि के मामले में प्रशासनिक दृष्टि से संबंधित मंत्रालयों को स्वयंउपयुक्त वित्तीय प्राधिकरणों के परामर्श से, वर्दी देने तथा उसके मान के संबंधमें निर्णय लेना चाहिए.