उपवीत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उपवीत में तीन प्रकार की ग्रन्थियाँ और एक ब्रह्मग्रन्थि होती हैं।
- [ 3] [4] यज्ञ द्वारा संस्कार किया गया उपवीत, यज्ञसूत्र या जनेऊ[5]
- ये तीन धाराएँ काल के गले में उपवीत यज्ञसूत्र के सदृश प्रतीत होती हैं।
- गायत्री के एक- एक पद को लेकर ही उपवीत की रचना हुई है ।।
- पनातरान के प्रथम शिलाचित्र में पवनपुत्र हनुमान सर्प का उपवीत धारण किए खड़े हैं।
- उपनयन के समय ब्रह्मचारी को उपवीत सूत्र पहनाया जाता है , जिसे जनेऊ कहते हैं।
- इस प्रकार के उपवीत को आचार्यों ने ‘ कण्ठी ' शब्द से सम्बोधित किया है।
- उपनयन के समय ब्रह्मचारी को उपवीत सूत्र पहनाया जाता है , जिसे जनेऊ कहते हैं।
- आसन , पाद्य, अर्घ्यआचमनीय, स्नान, वस्त्र, उपवीत, गन्ध, पुष्प, धूप दीप, नैवेद्य, आरती और प्रदक्षिणा दें।
- सर्प , अग्नि,सोम,प्रजापति,विश्वेदेवा,पितृ,अनिल,सूर्य,ॐ,ब्रह्मा,विष्णु,महेश !!! इन सब विविध शक्तिओ(देवता ओ ) की आवाहन करके उपवीत में स्थापनकी जाती है !!