ऋषि-ऋण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- श्रीमन्महर्षि वेदव्यास प्रणीत महाभारत , प्रथम खण्ड , आदिपर्व , सम्भव पर्व , पाण्डु-पृथा-संवाद विषय एक सौ उन्नीसवें अध्याय में वर्णन है कि मनुष्य इस पृथ्वी पर चार प्रकार के ऋणों ( पितृ-ऋण , देव-ऋम , ऋषि-ऋण और मानव-ऋण हमें चुकाना चाहिए।
- श्रीमन्महर्षि वेदव्यास प्रणीत महाभारत , प्रथम खण्ड , आदिपर्व , सम्भव पर्व , पाण्डु-पृथा-संवाद विषय एक सौ उन्नीसवें अध्याय में वर्णन है कि मनुष्य इस पृथ्वी पर चार प्रकार के ऋणों ( पितृ-ऋण , देव-ऋम , ऋषि-ऋण और मानव-ऋण हमें चुकाना चाहिए।
- ऋषि-मुनियों की बात सुन कर पाण्डु अपनी पत्नी से बोले , “हे कुन्ती! मेरा जन्म लेना ही वृथा हो रहा है क्योंकि सन्तानहीन व्यक्ति पितृ-ऋण, ऋषि-ऋण, देव-ऋण तथा मनुष्य-ऋण से मुक्ति नहीं पा सकता क्या तुम पुत्र प्राप्ति के लिये मेरी सहायता कर सकती हो?” कुन्ती बोली, “हे आर्यपुत्र! दुर्वासा ऋषि ने मुझे ऐसा मन्त्र प्रदान किया है जिससे मैं किसी भी देवता का आह्वान करके मनोवांछित वस्तु प्राप्त कर सकती हूँ।
- ऋषि-मुनियों की बात सुन कर पाण्डु अपनी पत्नी से बोले , “हे कुन्ती! मेरा जन्म लेना ही वृथा हो रहा है क्योंकि सन्तानहीन व्यक्ति पितृ-ऋण, ऋषि-ऋण, देव-ऋण तथा मनुष्य-ऋण से मुक्ति नहीं पा सकता क्या तुम पुत्र प्राप्ति के लिये मेरी सहायता कर सकती हो?” कुन्ती बोली, “हे आर्यपुत्र! दुर्वासा ऋषि ने मुझे ऐसा मन्त्र प्रदान किया है जिससे मैं किसी भी देवता का आह्वान करके मनोवांछित वस्तु प्राप्त कर सकती हूँ।
- “ऋषि-मुनियों की बात सुन कर पाण्डु अपनी पत्नी से बोले , ”हे कुन्ती! मेरा जन्म लेना ही वृथा हो रहा है क्योंकि सन्तानहीन व्यक्ति पितृ-ऋण, ऋषि-ऋण, देव-ऋण तथा मनुष्य-ऋण से मुक्ति नहीं पा सकता क्या तुम पुत्र प्राप्ति के लिये मेरी सहायता कर सकती हो?“ कुन्ती बोली, ”हे आर्यपुत्र! दुर्वासा ऋषि ने मुझे ऐसा मन्त्र प्रदान किया है जिससे मैं किसी भी देवता का आह्वान करके मनोवांछित वस्तु प्राप्त कर सकती हूँ।