एहसानफ़रामोश का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मैं एहसानफ़रामोश हूँमन भटकता हैआस्था कण कण कर टूटती हैफ़िर भीये इतनी बड़ी है किकण कण कर टूटे तो भीमेरी जिन्दगी चुकने से पहलेइसका अस्तित्व न मिट पायेगा।
- पर इन एहसानफ़रामोश गायकों ने खलील के गाए गानों को तो नष्ट-भ्रष्ट किया ही है कहीं एक भी शब्द में खलील की गायकी के प्रति कृतज्ञता नहीं ज्ञापित की है।
- आजादी के समय पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने हों , 1962 में चीन से पीठ में छुरा खाना हो, एहसानफ़रामोश बांग्लादेश का जब-तब आँखें दिखाना हो या कंधार-कारगिल में मुशर्रफ़ का षडयंत्र हो……
- मैं एहसानफ़रामोश हूँ मन भटकता है आस्था कण कण कर टूटती है फ़िर भी ये इतनी बड़ी है कि कण कण कर टूटे तो भी मेरी जिन्दगी चुकने से पहले इसका अस्तित्व न मिट पायेगा।
- आदरणीय राज भाटिया जी सादर वंदे मातरम् ! # अगर ऎसे नेता विदेश मे होते तो कभी के माफ़ी मांग कर सारा धन वापिस कर के कही शर्म से मुंह छुपे होते, लेकिन हमारे यहां तो एक चोरी फ़िर सीना जोरी.... हमारे भाग में ही लिखे हैं ऐसे एहसानफ़रामोश कृतघ्न नेता ।
- आजादी के समय पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने हों , 1962 में चीन से पीठ में छुरा खाना हो , एहसानफ़रामोश बांग्लादेश का जब-तब आँखें दिखाना हो या कंधार-कारगिल में मुशर्रफ़ का षडयंत्र हो …… “ एक गाल पर थप्पड़ खाकर दूसरा गाल आगे करने … ” की जो गाँधीवादी घुट्टी हमारे खून में रच-बस गई है , उसने कई मौकों पर देश के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ किया है।
- आजादी के समय पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने हों , 1962 में चीन से पीठ में छुरा खाना हो , एहसानफ़रामोश बांग्लादेश का जब-तब आँखें दिखाना हो या कंधार-कारगिल में मुशर्रफ़ का षडयंत्र हो …… “ एक गाल पर थप्पड़ खाकर दूसरा गाल आगे करने … ” की जो गाँधीवादी घुट्टी हमारे खून में रच-बस गई है , उसने कई मौकों पर देश के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ किया है।
- शाम को जब मैं सोता हूँ तो इस तरह का भाव चेहरे पर बार -बार आ जाता है कि हे मूढ़ समाज , ऐ एहसानफ़रामोश मुल्क़ ज़रा देखो तो सही मैने तेरे लिये इतनी चिन्ता की/ पूरा दिन दिन भर अपनी चिन्ताओं से दूसरों को अवगत कराता रहा/ लेकिन मुझे क्या मिला? मेरे घर में ए.सी.तक नहीं लगवाया तुम लोगों ने/ फ़िर मैं अपने कोटे की आखिरी चिन्ता करने के बाद टिटहरी जैसे टाँग उठा के सो जाता हूँ और सोते सोते सोचता हूँ कि देखो अच्छा हुआ आज इतनी चिन्ता कर ली वरना दुनिया का क्या होता?