ओढ़ाना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- लेकिन लोग बाग उसके पास आ-आ कर बैठते हैं , अपनी सहानुभूति की झीनी चादर उसे ओढ़ाना चाहते हैं और बड़ी-बड़ी देर तक बैठे अपनी आंखें सेंकते रहते हैं।
- शाल ओढ़ाना , पगड़ी बांधना या मोमेंटो भेंट करना महज एक दिखावा है-सम्मान नहीं . आईये अपनी ‘ आठ और साठ ' घर में नहीं परम्परा को बहल करें तथा बुजुर्गों को सुखी रख सकें।
- ये स्तिथि बड़ी रोचक है , आप कह रहे है , की शौल ओढ़ाना रीति रिवाज है , और फिर आप कहते हो की समाज ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया की इसे बंद कर दिया जा ए.
- भारत में मुस्लिम शासन के दौरान इस किस्म के प्रयोग यहां भी होने लगे जो मुहावरों में नज़र आते हैं जैसे चादर डालना या चादर ओढ़ाना जिसका मतलब होता है किसी विधवा को घर में डाल लेना या उससे विवाह कर लेना।
- भारत में मुस्लिम शासन के दौरान इस किस्म के प्रयोग यहां भी होने लगे जो मुहावरों में नज़र आते हैं जैसे चादर डालना या चादर ओढ़ाना जिसका मतलब होता है किसी विधवा को घर में डाल लेना या उससे विवाह कर लेना।
- उनके माता-पिता उन्हे अपने मूल देश की सामाजिक बुराइयाँ भी ओढ़ाना चाहते हैं और ये बच्चे अपने माता-पिता के मूल देश की सामान्य बातों को भी नहीं समझ पाते हैं क्योंकि स्कूल में और अपने हमउम्र साथियों के साथ वे एक अलग ज़िंदगी समझ रहे होते हैं।
- उनके माता-पिता उन्हे अपने मूल देश की सामाजिक बुराइयाँ भी ओढ़ाना चाहते हैं और ये बच्चे अपने माता-पिता के मूल देश की सामान्य बातों को भी नहीं समझ पाते हैं क्योंकि स्कूल में और अपने हमउम्र साथियों के साथ वे एक अलग ज़िंदगी समझ रहे होते हैं।
- इस दिन दूध देने वाली गाय को उसके बछड़े सहित स्नान कराकर वस्त्र ओढ़ाना चाहिए , गले में पुष्पमाला पहनाना, सींग मँढ़ाना, चंदन का तिलक करना तथा ताँबे के पात्र में सुगन्ध, अक्षत, पुष्प, तिल और जल का मिश्रण बनाकर निम्न मंत्र से गौ के चरणों का प्रक्षालन करना चाहिए।
- फटे चीथड़े पहननेवालों को मरण के पश् चात् नए कपड़े का कफन ओढ़ाना , नंगोभूखों के लिए बैकुंठ की कल्पना करना , मृतक का माया-जाल से , जंजाल से मुक् त होना आदि पक्ष कितने खोखले नजर आते हैं , यह ‘ कफन ' की कलात्मक बुनावट के फलस्वरूप ही है ।
- ओर विलाप करने वालों के सिर पर की राख दूर करके सुन्दर पगड़ी बांध दूँ; कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊँ; और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ाना ओढ़ाऊँ , जिस से वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलायें और जिस से उसकी महिमा प्रकट हो” (यशायाह ६१:१-३)