कटसरैया का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कुरबक को कटसरैया मान लेने में थोड़ी समस्या यह भी थी कि कटसरैया पूर्णतः लाल नहीं होती और अनेकों स्थानों पर तो इसके पीत और शुभ्र पुष्प ही प्राप्त होते हैं ।
- कुरबक को कटसरैया मान लेने में थोड़ी समस्या यह भी थी कि कटसरैया पूर्णतः लाल नहीं होती और अनेकों स्थानों पर तो इसके पीत और शुभ्र पुष्प ही प्राप्त होते हैं ।
- मालविकाग्निमित्र में इस पुष्प के वर्णन कि वसंत की प्रौढ़ावस्था में कुरबक के फूल पतित हो जाते हैं , हम एक संकेत भी ग्रहण कर सकते हैं कि यह कुरबक ही कटसरैया है ।
- वनौषधि निदर्शिका ( हिन्दी समिति , सूचना विभाग , उत्तर प्रदेश ) में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है कि पुष्प के रंग भेद से कटसरैया चार प्रकार की होती है - श्वेत , पीत , रक्त और नील ।
- भगवान सूर्य को बेला , मालती , काश , माधवी , पाटला , कनेर , जपा , यावन्ति , कुब्जक , कर्णिकार , पीली कटसरैया , चंपा , रोलक , कुंद , काली कटसरैया , बर्बर मल्लिका , अशोक , तिलक , लोध , अरुपा , कमल , मौलसिरी , अगस्तय और पलाश के फूल तथा दूर्वा अतिप्रिय है।
- भगवान सूर्य को बेला , मालती , काश , माधवी , पाटला , कनेर , जपा , यावन्ति , कुब्जक , कर्णिकार , पीली कटसरैया , चंपा , रोलक , कुंद , काली कटसरैया , बर्बर मल्लिका , अशोक , तिलक , लोध , अरुपा , कमल , मौलसिरी , अगस्तय और पलाश के फूल तथा दूर्वा अतिप्रिय है।
- **** मुंह में छले पड़े हों या दाँत में दर्द होता हो या दाँत में से खून आ रहा हो या मसूढ़े में सूजन / दर्द हो तो बस इसके पत्ते चबा लीजिये , उसका रस कुछ देर तक मुंह में रहने दीजिये फिर चाहें तो निगल लें , चाहें तो बाहर उगल दें . कटसरैया की दातुन भी कर सकते हैं .
- **** मुंह में छले पड़े हों या दाँत में दर्द होता हो या दाँत में से खून आ रहा हो या मसूढ़े में सूजन / दर्द हो तो बस इसके पत्ते चबा लीजिये , उसका रस कुछ देर तक मुंह में रहने दीजिये फिर चाहें तो निगल लें , चाहें तो बाहर उगल दें . कटसरैया की दातुन भी कर सकते हैं .