कबाबचीनी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- स्वप्नदोष : कबाबचीनी, छोटी इलायची के दाने, वंशलोचन और पिप्पल सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीस लें और 40 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर शीशी में भर लें।
- कबाबचीनी की लता आरोही एवं वर्षानुवर्षी , कांड स्पष्ट तथा मोटी संधियों से युक्त और पत्र चिकने, लंबाग्र, सवृंत और स्पष्ट शिराओंवाले तथा अधिकतर आयताकार होते हैं।
- कबाबचीनी की लता आरोही एवं वर्षानुवर्षी , कांड स्पष्ट तथा मोटी संधियों से युक्त और पत्र चिकने, लंबाग्र, सवृंत और स्पष्ट शिराओंवाले तथा अधिकतर आयताकार होते हैं।
- आवश्यकता से अधिक मात्रा में और अधिक समय तक कबाबचीनी का सेवन करने से पाचन क्रिया बिगड़ती है और त्वचा में खुजली हो सकती है , अतः इसके सेवन में अति न करें।
- पुराना सुजाक : कबाबचीनी का चूर्ण 100 ग्राम और सोडा बाईकार्ब 100 ग्राम या पिसी फिटकरी 50 ग्राम मिलाकर इस मिश्रण को 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध-पानी की लस्सी के साथ सेवन करना चाहिए।
- पुराना सुजाक : कबाबचीनी का चूर्ण 100 ग्राम और सोडा बाईकार्ब 100 ग्राम या पिसी फिटकरी 50 ग्राम मिलाकर इस मिश्रण को 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध-पानी की लस्सी के साथ सेवन करना चाहिए।
- गोमेद ( सं . ) [ सं-पु . ] 1 . एक बहुमूल्य रत्न या पत्थर जो कई रंगों का होता है , राहु-रत्न 2 . पत्रक नामक साग 3 . कबाबचीनी 4 . काकोल नामक विष।
- गोमेद ( सं . ) [ सं-पु . ] 1 . एक बहुमूल्य रत्न या पत्थर जो कई रंगों का होता है , राहु-रत्न 2 . पत्रक नामक साग 3 . कबाबचीनी 4 . काकोल नामक विष।
- मुख पाक : मुंह में छाले होने पर, मुख से दुर्गंध आने पर, जीभ पर मैली परत जमा होने पर, मुंह का स्वाद खराब होने पर कबाबचीनी के 2-2 दाने मुंह में डालकर 3-4 बार चबाते हुए चूस लिया करें।
- बंग भस्म १० ग्राम + प्रवाल पिष्टी १० ग्राम + त्रिबंग भस्म १० ग्राम + जहरमोहरा खताई भस्म १० ग्राम +शीतलचीनी ( इसे कबाबचीनी भी कहते हैं) २० ग्राम + शुद्ध ढेला कपूर ५ ग्राम; इन सबको एकत्र पीस कर कांच की शीशी में कसकर ढक्कन लगाकर रख लें।