कात्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ” कात्य ' नाम गोत्रप्रत्यांत है , महाभाष्य में उसका उल्लेख है।
- कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की।
- इसमें कात्य , वाचस्पति, भागुरि, अमर, मंगल, साहसांक, महेश और जिनांतिम (संभवतः हेमचंद्र) के नाम उल्लिखित हैं ।
- महर्षि कात्य की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण मां कात्यायनी नाम से जानी गर्ईं।
- पुरुषोत्तमदेव ने अपने त्रिकांडशेष अभिधानकोश में कात्यायन के ये नाम लिखे हैं - कात्य , पुनर्वसु, मेधाजित् और वररुचि।
- पुरुषोत्तमदेव ने अपने त्रिकांडशेष अभिधानकोश में कात्यायन के ये नाम लिखे हैं - कात्य , पुनर्वसु, मेधाजित् और वररुचि।
- पुरुषोत्तमदेव ने अपने त्रिकांडशेष अभिधानकोश में कात्यायन के ये नाम लिखे हैं - कात्य , पुनर्वसु , मेधाजित् और वररुचि।
- मण्डल ३ , सूक्त १५, ऋषि कात्य उत्कील:, देवता अग्नि अपने विपुल तेज से दहकते रोको हिंसाकर्मियों को, राक्षसों को रोगों को।
- अमरकोश के पूर्व - जैसे कात्य का “नाममाला” , भागुरि का “त्रिकांड”, अमरदत्त का “अमरमाला” या वाचस्पति का “शब्दार्णव” आदि-एवं बाद के - पुरुषोत्तम देव के “हारावली” तथा “त्रिकांडकोश”, हलायुध का “अभिधान
- ' अमरकोश' की एक टीका में लब्ध 'कात्य' शब्द के आधार पर 'कात्य' या 'कात्यायन' नामक 'अमर'-पूर्ववर्ती कोशकार का और पाठांतर के आधार पर व्याडि नामक कोशाकार का अनुमान होता है ।