कुत्स का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बत्स ( वछलश ) , कुत्स ( कुछलश ) , गालव ( गोलश ) और विद ( विदलश ) तो अप्नवान गण के अन्तर्गत है।
- बत्स ( वछलश ) , कुत्स ( कुछलश ) , गालव ( गोलश ) और विद ( विदलश ) तो अप्नवान गण के अन्तर्गत है।
- अब कुछ अप्रचलित ऋषियों के नाम देखें जिन्होंने वैदिक ऋचाए रचीं-मानव , राम, नर, कुत्स, सुतम्भरा, अपाला, सूर्या सावित्री, श्रद्धा कामायनी, यमी, शची पौलमी, ऊर्वशी आदि।
- जिनमें से महर्षि कुत्स , हिरण्यस्तूप , सप्तगु , नृमेध , शंकपूत , प्रियमेध , सिन्धुसित , वीतहव्य , अभीवर्त , अंगिरस , संवर्त तथा हविर्धान आदि मुख्य हैं।
- अहं मनुरभवं सूर्यश्चाहं , कक्षीवां - मैं मनु हुआ , मैं सूर्य हुआ , मैं ही कक्षीवान ऋषि हूँ मैं ही अर्जुनी पुत्र ‘ कुत्स ' हूँ और मैं ही उशना कवि हूँ।
- ' महाभारत” के शांतिपर्व (297/17-18) में मूल चार गौत्र बताए गए हैं- अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भृगु, जबकि जैन ग्रंथों में 7 गौत्रों का उल्लेख है- कश्यप, गौतम, वत्स्य, कुत्स, कौशिक, मंडव्य और वशिष्ठ।
- ‘महाभारत” के शांतिपर्व ( 297/17-18) में मूल चार गौत्र बताए गए हैं- अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भृगु, जबकि जैन ग्रंथों में 7 गौत्रों का उल्लेख है- कश्यप, गौतम, वत्स्य, कुत्स, कौशिक, मंडव्य और वशिष्ठ।
- “ महाभारत ” के शांतिपर्व ( 297 / 17 - 18 ) में मूल चार गोत्र बताए गए हैं - अंगिरा , कश्यप , वशिष्ठ और भृगु , जबकि जैन ग्रंथों में 7 गोत्रों का उल्लेख है- कश्यप , गौतम , वत्स्य , कुत्स , कौशिक , मंडव्य और वशिष्ठ।
- “ महाभारत ” के शांतिपर्व ( 297 / 17 - 18 ) में मूल चार गोत्र बताए गए हैं - अंगिरा , कश्यप , वशिष्ठ और भृगु , जबकि जैन ग्रंथों में 7 गोत्रों का उल्लेख है- कश्यप , गौतम , वत्स्य , कुत्स , कौशिक , मंडव्य और वशिष्ठ।
- वर्ग अपनाये हुए हैं की हिन्दुओं के विरुद्ध तो किसी भी प्रकार का कुत्स साहित्य विचारों की अभिव्यक्ति की श्रेणी में आता हैं जबकि ईसाई और इस्लाम मत के सम्बन्ध में लिखा गया कोई भी साहित्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों का दमन करने वाले और उनके विरोद्धी दक्षिणपंथी विचारधाराओं का उन्हें दबाने का प्रयास हैं . पहले भी ऐसे प्रयास सीता सिंग्स तरहे ब्लुएस (