कुमकुमा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कुमकुमा ( अ. ) [ सं-पु . ] 1 . लाख या मोम से बनाया गया खोखला गोला जिसमें अबीर-गुलाल भरकर होली खेलते हुए लोग एक-दूसरे पर मारते हैं 2 . सँकरे या छोटे मुँह का लोटा 3 .
- कौन जाने , ब्रृज के प्राण, गोपाल इस समय कहाँ छिपे हैं?"ललन संग खेलन फाग चली!चोवा, चंदन, अगस्र्, कुमकुमा, छिरकत घोख-गली!ऋतु-वसंत आगम नव-नागरि, यौवन भार भरी!देखन चली, लाल गिरधर कौं, नंद-जु के द्वार खड़ी!!आवो वसंत, बधावौ ब्रृज की नार सखी
- सब कुछ नया लग रहा है कालिंदी के किनारे नवीन सृष्टि की रचना , सुलभ हुई है “नवल वसंत, नवल वृंदावन, नवल ही फूले फूल! नवल ही कान्हा, नवल सब गोपी, नृत्यत एक ही तूल! नवल ही साख, जवाह, कुमकुमा, नवल ही वसन अमूल! नवल ही छींट बनी केसर की, भेंटत मनमथ शूल!
- “ क़यामत नजदीक आ चुकी है और चाँद में डराड़ पद चुकी है ” सूरह क़मर ५ ४ -पारा २ ७ - आयत ( १ ) मुहम्मद ने चाँद तारों को आसमान के बड़े बड़े कुमकुमे ही माना है जो आसमान की रौनक हैं , उनके हिसाब से बड़ा कुमकुमा फट चुका है ( जिस को कि खुद उन्होंने फाड़ा है ) .
- जंगल का कानून तोड़कर जमा रंग का मेला ! भंग चढ़ा कर लगा झूमने बब् बर शेर अलबेला ! गीदड़ जी ने टाक लगाकर एक कुमकुमा मारा ! हाथी जी ने पिचकारी से छोड़ दिया फब्बारा ! गदर्भ जी ने ग़ज़ल सुनाई कौवे ने कब्बाली ! ढपली लेकर भालो नाचा , बजी जोर की ताली ! खेला फाग लोमड़ी जी ने , भर गुलाल की झोली ! मस्तों की महफ़िल दो दिन तक , रही मनाती होली !